नीमच । संसार में यदि मनुष्य हर पल हर कदम हर क्षेत्र में सभी की सहायता का लक्ष्य रखें तो उसके जीवन में कभी भी लड़ाई झगड़ा नहीं होता है। क्षमा करने से जीवन में निर्भय मिलता है। धार्मिक पाठशाला के जो शिक्षक अध्यापन का कार्य कराते हैं उनके निर्णय सच होते हैं वे जो कहते हैं वही हो जाता है उनकी वाणी में लब्धि होती है। यह बात आचार्य जिन सुंदर सुरी श्री जी महाराज के शिष्य पन्यास मुनी तत्व रुचि विजय जी मसा ने कहीं।
वे जैन श्वेतांबर श्री भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिर श्री संघ ट्रस्ट पुस्तक बाजार के तत्वावधान में मिडिल स्कूल मैदान स्थित जैन भवन में धर्म आगम पर्व पर आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य मनुष्य जीवन में यदि कम कपड़े पहनने का नियम ले तो उसके जीवन में सदैव पुण्य बढ़ता रहेगा। मनुष्य यदि साधु संतों की सेवा करें तो उसका फल से तीर्थकर कर्म का बंद होता है। संयम पालन का पुण्य लाभ ग्रहण करना है तो पहले पाप कर्म को रोकना होगा। जो व्यक्ति मायाचारी करता है पाप को छुपाता है तो उसे अगले जन्म में स्त्री की योनि में जन्म लेना पड़ता है। जो अपने पापों की निंदा करता है वह मोक्ष जाने की उत्तम श्रेणी के मार्ग को प्राप्त करता है। माता-पिता को वंदन करने से नीच गोत्र में जन्म नहीं लेना पड़ता है।
जो व्यक्ति अपनी आलोचना स्वयं कर प्रायश्चित करता है उसके मोक्ष मार्ग में आने वाले सभी कर्मों की निर्जरा हो जाती है और उसे अगले जन्म में पुरुष योनि में ही जन्म मिलता है नपुंसक योनि में भी जन्म नहीं मिलता है। सा धार्मिक भक्ति करे तो अगले जन्म में हमें नरक पशु अधिकारी की दुर्गति की योनि नहीं मिलेगी। पन्यास तत्व रुचि महाराज ने यज्ञीय, समाचारी, सम्यक पराक्रम, तप मार्ग गति, मोक्ष गति व खलुडंकीय अध्यन सहित विभिन्न धार्मिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि इन सिद्धांतों को जीवन में आत्मसात करें तो आत्मा का कल्याण हो सकता है। पूज्य आचार्य भगवंत श्री जिनसुंदर सुरिजी मसा, धर्म बोधी सुरी श्री जी महाराज आदि ठाणा 8 का सानिध्य मिला। प्रवचन एवं धर्मसभा हुई प्रतिदिन सुबह 7.30 बजे प्रवचन करने के व साध्वी वृंद के दर्शन वंदन का लाभ नीमच नगर वासियों को मिला प्रवचन का धर्म लाभ लिया।