चीताखेडा । हमारी भारतीय परंपरा में व्रत उपवास आदि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रतीक होते हैं। इसमें महिलाओं की और से अत्यंत ही रमणीय, सरल हृदय, प्रगाढ़ आस्था एवं उत्साहित होकर के हर धार्मिक कृत्यों में भाग लेने का अनुपम योगदान रहता है। इस परम्पराओं के मुताबिक करवा चौथ का पर्व दाम्पत्य जीवन की कुशल कामना और आपसी जुड़ाव का एक सुंदर पर्व है।
अपने साथी के आयुष्य की कामना से बढ़कर कुछ नहीं। दाम्पत्य जीवन को संतुलित और सहजता से चलाने के लिए पति-पत्नी दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। कल रविवार को करवा चौथ पर पति की दीर्घायु लंबी उम्र एवं सुख समृद्धि के लिए हाथों पर मेहंदी लगाकर 16 श्रृंगार कर सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर सुहाग के सभी आभूषण खुद ने धारण कर दुल्हन की तरह रंग-बिरंगे वस्त्र धारण कर चांद को अर्घ्य देकर विधि- विधान से पूजा अर्चना के बाद पति के हाथ से करवै के जल को पीकर सामंजस्य और रिस्ते की उष्मा से दमकता करवा चौथ व्रत खोलेगी। इस अवसर पर कल दिवस 20 अक्टूबर 2024 रविवार को सुहागिनी महिलाएं चौथ माता व्रत पूरी आस्था, श्रृद्धा एवं भक्ति के साथ करेंगी।
इस अवसर पर दीन में सुहागिन महिलाएं चौथ माता की कथा सुनती है। सुहागिन महिलाएं अपनी सास (सासू) को करवा भेंट कर उनके पैर छुकर आर्शीवाद लेती है। पूजा में रोली मोली बिंदी, सिंदूर, अक्षत सहित कई अन्य सुहाग की वस्तुएं रखी जाती । चंद्र मां के दिदार हेतु सुहागिन महिलाएं मकानों की छतों पर चढ़कर अपनी निगाहें टकटकी लगाए बड़े ही बैसब्री इंतजार करती है। चांद के दर्शन कर चांद की तरह सुहागिन महिलाओं के चेहरे खिल उठते। इस करवा चौथ के पर्व पर पत्नियों द्वारा भारतीय संस्कृति परंपरानुसार दिन भर निर्जलव्रत रख कर पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए कामनाएं करती है, इस मौके पर पतियों द्वारा अपनी - अपनी पत्नियों द्वारा अपनी अपनी हैसियत अनुसार पत्नियों को तोहफे दिए जाते। करवा चौथ को लेकर बाजार में मिट्टी एवं शक्कर से बने करवों की दुकानें भी सजी हुई सुहागिन महिलाओं को आकर्षित कर रही है।
दुकानों पर विभिन्न प्रकार के डिजाइन और रंग-बिरंगे करवा की बिक्री हो रही है।