देश दुनिया के इतिहास की मत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिले वार ब्यौरा इस प्रकार हैं:-
1960 में पाकिस्तान की राजधानी कराची से बदलकर इस्लामाबाद कर दी गई।
1975 में दुर्गा बनर्जी वाणिज्यिक यात्री विमान उड़ाने वाली दुनिया की पहली महिला पायलट बनीं।
1995 में हबल दूरबीन ने शनि के एक और चंद्रमा की खोज की।
2004 में श्रीलंका ने भारत को हराकर क्रिकेट का एशिया कप जीता।
2006 में जापान ने दुनिया की पहली भूकंप पूर्व चेतावनी सेवा शुरू की।
2007 में भारतीय टीम ने हनोई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड में तीन स्वर्ण पदक जीते। होम रूल लीग की शुरुआत और भारत में एयरलाइंस का राष्ट्रीयकरण
1 अगस्त 1831 में लंदन ब्रिज को यातायात के लिए खोल दिया गया।
1883 में ग्रेट ब्रिटेन में अंतर्देशीय डाक सेवा शुरू हुई।
1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष एनी बेसेंट ने होम रूल लीग की शुरुआत की।
1932 में भारत की प्रसिद्ध अभिनेत्री मीना कुमारी का जन्म हुआ।
1953 में क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो को गिरफ्तार किया गया और भारत में सभी एयरलाइंस का राष्ट्रीयकरण किया गया।
1957 में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की स्थापना की गई। असहयोग आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जो 1 अगस्त 1920 को शुरू किया गया था। छात्रों ने सरकारी संस्थानों का बहिष्कार किया, वकीलों ने अदालतों से किनारा कर लिया और कई शहरों में मजदूर हड़ताल पर चले गए।
यह आंदोलन 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश शासन को चुनौती देने वाला पहला बड़ा आंदोलन था। नॉन को-ऑपरेशन मूवमेंट भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय था। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के प्रतिरोध का एक अहिंसक तरीका था, जिसका उद्देश्य था ब्रिटिश सरकार को यह दिखाना कि भारतीय लोग उनके शासन को स्वीकार नहीं करते हैं और वे बिना किसी हिंसा के अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने को तैयार हैं। आंदोलन के दौरान, हजारों भारतीयों ने सरकारी नौकरियों, स्कूलों, कॉलेजों और अदालतों का बहिष्कार किया। देश भर में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया और खादी के कपड़े पहनने को बढ़ावा दिया गया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया, क्योंकि भारतीयों ने ब्रिटिश सामान खरीदना बंद कर दिया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1921 में 396 हड़तालें हुईं, जिनमें छह लाख मजदूर शामिल थे और लगभग 70 लाख कार्यदिवस का नुकसान हुआ। इससे पता चलता है कि यह आंदोलन कितना व्यापक था और इसने सभी वर्गों के लोगों को कैसे प्रभावित किया था। लेखक के बारे में रत्नप्रिया रत्नप्रिया जर्नलिज्म के क्षेत्र में 8 साल से ज्यादा का अनुभव रखती हैं।