नीमच । मानव जीवन में नैतिक संस्कार सबसे अधिक महत्वपूर्ण होना चाहिए। जीवन में नैतिक धार्मिक संस्कारों का मूल्य समझना जरूरी है।
क्योंकि जो समय अभी है वह पूरा लोट करने आने वाला है जो लोग संस्कार को अभी नहीं समझ पाएंगे उन्हें बाद में पछताना पड़ता है। सामाजिक जीवन में संस्कार महत्वपूर्ण कड़ी है। यह बात आचार्य जिन सुंदर सुरी श्री जी महाराज ने कहीं।
वे जैन श्वेतांबर श्री भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिर श्री संघ ट्रस्ट पुस्तक बाजार के तत्वावधान में मिडिल स्कूल मैदान स्थित जैन भवन में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि युवावस्था में धर्म संस्कार को सीख लिया तो बुढ़ापा भी सुधरेगा। आने वाला जन्म भी सुधरेगा इसलिए संस्कारों की कद्र करना सीखो नहीं तो बुढ़ापे में पछताना पड़ेगा। आपको जो मनुष्य भव मिला है वह बार-बार मिलने वाला नहीं है इसमें हम धर्म से जुड़कर आत्म कल्याण का कार्य स्वयं कर सकते हैं इसलिए आपको जो मनुष्य जन्म मिला है उसकी महता समझो। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग परिवार माता- पिता श्रीसंघ समाज की पहचान को समझे, माता- पिता धार्मिक संस्कारों को अपनाये और बच्चों को भी संस्कारित करें। रात्रि भोज नहीं करने दे। कभी होटल से भोजन नहीं करने दे। यह संस्कार आपके परिवार की पहचान होनी चाहिए। रात्रि भोज का त्याग होना चाहिए । आलू प्याज लहसुन से सदैव बचना चाहिए।
बच्चों को धर्म संस्कार के प्रति दृढ़ संकल्पित होना चाहिए। धर्म संस्कार के बिना मानव की पहचान नहीं होती है। युवा वर्ग को पूजा कर अपने धर्म के प्रति सजग रहना चाहिए। समाज में आयोजित संस्कार शिविर में बच्चे पूजा में अपार उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं जो उनके समर्पण का परिचायक है। दिमाग के खराब विचारों के कचरे को खाली करें और संस्कार के अच्छे पुण्य विचारों को ग्रहण करें।
लोग धन के लालची बन रहे हैं धर्म के लिए समय नहीं है। मंडी व्यापारी सुख धन में ढूंढ रहे हैं जबकि सच्चा सुख धर्म की शक्ति से मिलता है। धर्म से नहीं जुड़ रहे हैं चिंतन का विषय है । धर्म संस्कार के प्रति भाव नहीं हो तो धन दौलत पत्थर के समान होती है। धर्म संस्कार के बिना सुख नहीं मिलता है। पूज्य आचार्य भगवंत श्री जिनसुंदर सुरिजी मसा, धर्म बोधी सुरी श्री जी महाराज आदि ठाणा 8 का सानिध्य मिला। प्रवचन एवं धर्मसभा हुई। प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे प्रवचन करने के व साध्वी वृंद के दर्शन वंदन का लाभ नीमच नगर वासियों को मिला प्रवचन का धर्म लाभ लिया।