नीमच । धार्मिक संस्कारों से जीवन में सफलता मिलती है। धार्मिक नैतिक संस्कारों से पुण्य बढ़ता है। पाप घटता है। संस्कार के बिना प्रतिमा भी पाषाण होती है। गुरु के सानिध्य में संस्कार मिलते हैं तो जीवन को नई दिशा मिलती है। यह बात सुप्रभ सागर जी महाराज साहब ने कही। वे पार्श्वनाथ दिगंबर जैन समाज नीमच द्वारा दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सूर्यास्त के बाद रात्रि भोजन का त्याग करना तथा जीवन पर्यंत पानी को छान कर पीना भी उत्तम संस्कारों की श्रेणी में आते है। उपनयन संस्कार, केश लोचन, गर्भवती महिला के संस्कार प्रतिष्ठा में वृद्धि करते हैं। सभी माता-पिता अपने बच्चों को नैतिक धार्मिक संस्कारों से जोड़कर उनके जीवन को खुशहाल बनाएं। धर्म संस्कारों के बिना मानव जीवन अधूरा होता है । हर पिता चाहता है कि उसकी बेटी का परिवार संस्कारवान बने। युवा वर्ग में यदि धर्म संस्कार हो तो हर पिता उस व्यक्ति से अपनी बेटी का विवाह करना चाहता है।
संस्कारों के अभाव में ही आज पति-पत्नी के बीच विवाद हो रहे हैं। धार्मिक संस्कार होते हैं तो उसे परिवार में सुख समृद्धि खुशहाली शांति सदैव रहती हैं। मुनि वैराग्य सागर जी मसा ने कहा कि पुण्य कर्म करने से पाप का क्षय होता है तो इससे बड़ी कोई विभूति नहीं होती है। संसार की जितनी भी विभूतिर्या है उन्हें पुण्य से ही सब कुछ मिला है। आत्म विभूति अनमोल होती है। आत्मा की विभूति बिना संस्कारों के प्राप्त नहीं होती है। उत्तम कूल में जन्म मिला है तो देव भक्ति करना चाहिए। रात्रि भोजन का त्याग देव दर्शन करना चाहिए। छाछ पानी का उपयोग करना चाहिए। किसी भी विपरीत परिस्थितियों में संयम का पालन करना चाहिए। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को तथा पांच पांडवों को भी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वनवास में समय बिताना पड़ा था। युवा वर्ग फिल्म अभिनेताओं की फैशन की नकल की होड़ में अपनी संस्कृति से विमुख होता जा रहा है और वे पश्चिमी संस्कृति की ओर बढ़ता जा रहे है जो चिंतन का विषय है। संतों के संस्कार को युवा वर्ग गहराई से नहीं सिखता है इसी कारण वह दुःखी रहता है। महात्मा गांधी को उनकी माता पिता ने राजा हरिश्चंद्र का नाटक दिखाया था उसी से प्रेरणा लेकर उन्होंने जीवन में सत्य बोलने का संकल्प लिया था।
आदिवासी संस्कारों के अभाव में ही पीछड रहे हैं। प्राचीन काल में जैन समाज के लोगों को संस्कारों के कारण ही राजा के राज में कोषाध्यक्ष या मंत्री का पद मिलता था। विभूति बना बिना पुण्य कर्मों के नहीं मिलती है। संस्कारों के प्रेम की कमी के कारण ही आज पति-पत्नी में विवाद बढ़ रहे हैं चिंतन का विषय है। संस्कारों के अभाव में बैटे-बेटियों के विवाह नहीं हो रहे हैं चिंतन का विषय है। अंग्रेजों के शासन में जैन समाज के लोगों की गवाही को सत्य मान कर उनका सम्मान किया जाता था हमें भी जीवन में सफल बना है तो सत्य संस्कारों को जीवन में आत्मसात करना चाहिए उपनयन संस्कार व निवार्ण का लड्डड्डु आज चढेगा दिगंबर जैन समाज एवं चातुर्मास समिति उपाध्यक्ष प्रमोद गोधा एवं मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने संयुक्त रूप से बताया कि चातुर्मास की पावन श्रृंखला में आज 11 अगस्त रविवार को पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक महोत्सव के पावन उपलक्ष्य में सुबह 6:15 बजे अभिषेक, सुबह 7 बजे शांति धारा अभिषेक, 7:15 बजे पूजन निर्वाण का लाडू 8 ब 8 बजे, गर्भधारण संस्कार, एवं उपनयन संस्कार सहित विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती 108 शांति सागर जी महामुनि राज के पदारोहण के शताब्दी वर्ष मे परम पूज्य मुनि 108 श्री वैराग्य सागर जी महाराज एवं परम पूज्य मुनि 108 श्री सुप्रभ सागर जी महाराज जी का पावन सानिध्य मिला।