जीरन। पैगंबर मोहम्मद के नवासे शहीदे करबला इमाम हसन हुसैन की शहादत की याद में शनिवार को मातमी पर्व मोहर्रम की इस्लामी केलेडंर की 10वी तारीख होने पर मोहर्रम (ताजिया) जीरन नगर के निर्धारित मार्गों से ढोल ताशों की गूंज के साथ अखाड़े के खिलाड़ी लेझिम बजाते एवं बैंड बाजों की मातमी धुनों पर मुस्लिम कौम की पलटन या हुसैन या हुसैन..... नाराएक तकबी अल्लाह हो अकबर ........आदी नारों के गगनभेदी जयघोष के साथ मोहर्रम के ताजिया सादगी पूर्ण माहौल में निकला जिन्हें देर रात को करबला अकिदत पहुंचकर ताजिए को ठंडा करने से पूर्व दरूद फातिया पढ़कर तबर्रुक का तक्सीम किया गया। मोहर्रम पर ताजिए शनिवार को शाम 5 बजे इमामबाड़े से ढोल ताशों की गूंज के साथ हुसैनी अखाड़े के खिलाड़ी पूरी पलटन या हुसैन या हुसैन ... नाराएक तकबी अल्लाह हो अकबर.... के गगनभेदी जयघोष करते हुए एवं बैंड बाजों की मातमी धुनों के साथ जलसा शुरू हुआ जो बस स्टैड, मस्जिद, नीमचोक, पुराने थाने पीपल चोक होते हुए प्रतापगढ़ दरवाजा से करबला पहुंचा जहां अखाड़े के खिलाड़ियों ने अखाड़े का मुकाम लगाया हिंदू भाइयों ने भी मुस्लिम भाइयों के साथ मिलकर भाई चारे के साथ कौमी एकता की मिसाल पेश करते हुए अखाड़े में सभी ने एक के बाद एक बारी बारी से हैरतअंगेज करतब दिखाए जलसे में आगे युवा इस्लामिक ध्वज (छड़ी) हाथों में लिए चल रहा था, वहीं युवा हाथ में लेझिम बजाते हुए बनेटी, बाना, लट्ठ घुमाते हुए चल रहे थे मांगी गई मुरादे पूरी होने पर सेहरे, तबर्रुक, फूल मालाएं, इत्र, नारियल, अगरबत्ती, लोबान, मेहंदी चढ़ाकर ताजिए के नीचे बच्चों को निकाला गया ताजिए के जलसे के दौरान शहीदे इमाम हुसैन से संतान की मांगी गई मुरादे पूरी होने पर हिंदू मुस्लिमों ने 15 से 20 बच्चों की संख्या में 2 वर्ष से 10 वर्ष तक की उम्र के लड़के लड़कियों को खोपरों, लड्डू और गुड़ से तोल कर इमाम हुसैन का शुक्रिया अदा किया प्रतापगढ़ दरवाजा से अखाड़े का मुकाम विसर्जन के पश्चात शाम को ताजिए कर्बला हेतु प्रस्थान जहा पर फातिये पेश कर रात्रि को कर्बला पहुँचे, जहां पर ठंडा करने से पूर्व दरूद फातिया पढ़कर तबर्रुक का तक्सीम किया गया मुस्लिम कौम के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा अखाड़े के लिए जगह-जगह स्वल्पाहार केसर दूध, ठंडा पेय पदार्थ की व्यवस्था जगह-जगह की गई इसी के साथ स्थानीय पुलिस प्रशासन भी पूरे समय जलसे में साथ रहकर अपनी ड्यूटी निभाई।