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अष्टानिका महोत्सव, सिद्धों की आराधना के बिना मुक्ति नहीं होती है - वैराग्य सागर जी महाराज, दिगबर जैन मंदिर में नंदीश्वर मंडल एवं सिद्ध चक्र का मंडल विधान पूजा अर्चना के साथ प्रवाहित

Neemuch headlines July 17, 2024, 5:06 pm Technology

नीमच । सिद्धों की आराधना के बिना मुक्ति का मार्ग नहीं मिलता है। जब तक व्यक्ति का शरीर पवित्र नहीं होता तब तक विशुद्धी नहीं बढ़ सकती है। शरीर में कोई रोग नहीं होना चाहिए। शरीर स्वस्थ होना चाहिए । कोई जख्म घाव नहीं होना चाहिए। द्रव्य शुद्ध नहीं तो भाव शुद्ध नहीं और भाव शुद्ध नहीं होते तो परिणाम शुद्ध नहीं होते हैं। परिणाम शुद्धि के द्धि के बिना आत्मा शुद्ध नहीं होती और आत्मा शुद्धि के बिना सिद्धि की प्राप्ति नहीं होती है।

पवित्र सिद्धि की साधना के बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। यह बात वैराग्य सागर जी महाराज साहब ने कही। वे दिगंबर जैन समाज नीमच द्वारा दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पवित्र आत्मा से ही सम्यक दर्शन की प्राप्ति होती है। मुनि सुप्रभ सागर जी महाराज साहब ने कहा कि द्रव्य शुद्धि से ही परिणाम की शुद्धि होती है। । सूतक और मृत्यु के शोक का पालन करना चाहिए इसमें किया गया दान मंदिर में स्वीकार नहीं होता है और उल्टा पाप लगता है। मनुष्य की शुद्धि में जाति गोत्र वंश की शुद्धि का भी महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। व्यक्ति यदि न्याय पूर्वक कमाए हुए धन का दान करता है तो वही दान का पुण्य मिलता है। अन्याय अनिति से कमाया हुआ धन का दान का पुण्य कभी नहीं मिलता है। आधुनिक युग में अन्न में रासायनिक पदार्थ के बढ़ने के कारण मन में विकृतियां उत्पन्न हो रही है। पिज़्ज़ा बर्गर और चीज में मांसाहार का उपयोग हो रहा है इससे सदैव बचना चाहिए। लोकी का कोफ्ता नहीं लौकी की पकौड़ी बोलना चाहिए। क्योंकि कोफ्ता शब्द भी मांसाहार हिंसा का प्रतीक होता है। युवा वर्ग को मातृभाषा बोलने में शर्म आ रही है चिंतन का विषय है। जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं ।

उन्होंने मातृभाषा के संस्कारों से ही महानता को प्राप्त किया है इस बात को हमें भुलना नहीं चाहिए। पुजा करते समय सिर्फ दो वस्त्र पहनने का ही विधान है वह भी बिना सिलाई किए हुए। सिले हुए कपड़े पहनकर पूजा करते हैं तो वह पूजा स्वीकार नहीं होती है क्योंकि सिलाई में कपड़े के किनारे को मोड़कर सिलाई की जाती है । कपड़े सुखाने के बाद उसमें पानी की कुछ नमी रह जाती है और उसे नमी से जीव कीटाणु उत्पन्न होते हैं और वह पूजा में स्वीकार नहीं होते हैं। गोत्र परिवर्तन के बिना सूतक का प्रभाव नहीं हटता है इस बात का सदैव पालन करना चाहिए। परिवार में मृत्यु होने पर 13 दिन बाद ही दान मंदिर में प्रदान करना चाहिए। विशुद्ध को बढ़ाएं तो भगवान की पूजा भक्ति से शुद्ध के परिणाम हो जाते हैं श्रावक धर्म पालन से पवित्रता बढ़ती है। मंडल विधान पूजा में ये बने सहभागी - इस अवसर पर सिद्धों की महाअर्चना सिद्ध चक्र का मंडल विधान मंत्र उच्चारण के साथ किया गया। पूजा पाठ के मध्य सोधर्म इंद्र का धर्म लाभ प्रेमचंद जैन धमनिया राजस्थान, कुबेर इंद्र का धर्म लाभ संजय बज, श्रीपाल राजा का धर्म लाभ प्रिक्षेप अजमेरा, मैना सुंदरी का धर्म लाभ ईना अजमेरा यज्ञ नायक सिद्धार्थ अजमेरा , ईशान इंद्र सुशील चंदना अजमेरा ने धर्म लाभ लिया। पूजा के पाठ पर मंडल विधान को स्वर्ण कलश, खोपरा से सजाया। व दीप प्रज्वलित किया गया ।

ब्रह्मचारी पारस भैया के मार्गदर्शन में मंडल विधान की रचना की गई। पुण्यर्जक श्रीमती प्रेम भाई शाह, धर्मपत्नी स्वर्गीय श्री हीरालाल जी शाहआरती के पुणयार्जक पुखराज मित्तल नारायणगढ़ एवं नीरज जैन अजमेर वाले ने धर्म लाभ लिया। इसअवसर पर भजन गायक कलाकार द्वारा तुम काम विनाशक हो प्रभु, कुंडलपुर में केसरिया ध्वज लहराया, हर घर में अब एक ही नाम एक ही नारा मेरे भारत का बच्चा बच्चा जय जय महावीर बोलेगा माता दया कर दे चरणों में जगह देना अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना...., आदि भजनों पर समाज जनों द्वारा भक्ति नृत्य प्रस्तुत किया गया। मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि प्रतिदिन विभिन्न अष्टानिका महोत्सव में नये नये धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किया जा रहे हैं। 21 जुलाई को मंगल कलश की स्थापना का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा।।

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