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रात्रि भोजन त्याग के बिना जीव दया का पालन नहीं होता है-आचार्य श्री जिन सुंदरसुरीजी मसा, प्रवचन में उमड़े श्रद्धालु भक्त।

Neemuch headlines July 13, 2024, 7:13 pm Technology

नीमच । सूर्यास्त पूर्व भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए और रात्रि भोजन त्याग के बिना जीव दया का पालन नहीं होता है। जमीन जमीन कंद का उपयोग करने से जीव दया का पालन नहीं होता है इसलिए जीवन पर्यंत जमीकंद का उपयोग नहीं करने का संकल्प लेना चाहिए तभी जीव दया का पालन हो सकता है और तभी आत्मा का कल्याण हो सकता है। यह बात आचार्य जिन सुंदर श्री जी महाराज साहब ने कहीं ।

वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर मंदिर के तत्वावधान में विकास नगर स्थित महावीर जिनालय भवन में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दूसरों के परमार्थ और भलाई के कार्य करते हुए निस्वार्थ भाव से जीवन जीना चाहिए तभी आत्म कल्याण होता है। संत चाहे कोई भी हो लेकिन प्रवचन एकाग्रता पूर्वक सुनकर उसे जीवन में आत्मसात करना चाहिए तभी भक्ति तपस्या का फल मिल सकता है। मंदिर दर्शन जाते समय मोबाइल साथ नहीं ले जाना चाहिए मोबाइल से संसार बढ़ता है और मंदिर दर्शन में ध्यान भटकता है इसलिए मोबाइल से सदैव दूर रहना चाहिए। पुत्र पिता की आज्ञा माने तभी वह संस्कारी पुत्र कहलाता है। पराई स्त्री को गलत दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। समस्त नारी वर्ग में मां बहन बेटी के रूप के ही दर्शन करना चाहिए। त्याग के साथ किसी की सहायता करें। वही सच्चा भक्त कहलाता है। महात्मा गांधी, शिवाजी और महावीर स्वामी के महान बनने के पीछे उनकी मां के ही संस्कार थे। संसार में परोपकार का विचार सदैव सफलता दिलाता है। पूज्य आचार्य भगवंत श्री जिनसुंदर सुरिजी मसा, आचार्य श्री धर्म बोधी सुरी मसा, मुनि कृपा रुचि विजय जी मसा, दया निधान विजय जी मसा, चंद्र प्रेम विजय जी मसा, देवार्य विजय जी मसा, भगवंत एवं 8 साधु भगवंतो के दर्शन वंदन का लाभ विकास नगर वासियों को मिला। आचार्य भगवंत के प्रवचन एवं धर्मसभा हुई। पूज्य आचार्य भगवंत ने कहा कि उनकी श्रीसंघ में सामूहिक सिद्धितप एवं अन्य तपस्याए कराने की भावना है। सामूहिक सिद्धितप जिनको भी करने की भावना हो तो उसके अभिमंत्रित पास आचार्य श्री द्वारा रवि पुष्य मुहूर्त के दिन से पास देना प्रारंभ किए गए। श्री संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे प्रवचन करने के लिए दो-दो आचार्य भगवंत, पन्यास भगवंत एवं 8 साधु भगवंतों के दर्शन वंदन का लाभ विकास नगर वासियों को मिला प्रवचन का धर्म लाभ लिया।

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