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तपस्या से पवित्र ऊर्जा की शक्ति मिलती है - आचार्य श्री जिन सुंदरसुरीजी मसा, प्रवचन में उमड़े श्रद्धालु भक्त

Neemuch headlines July 11, 2024, 7:30 pm Technology

नीमच। तपस्या से पवित्र ऊर्जा की शक्ति मिलती है। तपस्या करने से पुण्य फल बढ़ता हैऔर पाप कर्म घटते हैं। साधु संतों का अमृत प्रवचन श्रवण करने से जीवन में नया परिवर्तन आता है। इसराइल हमास युद्ध के हमले में लाखों लोगों का मारा जाना जीव हिंसा का पाप है उससे प्रत्येक देश के नागरिकों को युद्ध से बचना चाहिए। जीव हिंसा के त्याग से ही आत्मा का कल्याण हो सकता है। यह बात आचार्य जिन सुंदर श्री जी महाराज साहब ने कहीं । वे शांतीनाथ राजेंद्र सुरी मंदिर मंडल ट्रस्ट नीमच सिटी के तत्वावधान में नीमच सिटी स्थित गुरु जैन दिवाकर स्थानक भवन में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पूजा, प्रतिक्रमण सामायिक तप सभी मानव जीवन के लिए कल्याणकारी कर्म है।

संगम ने एक बार संत को अपने हिस्से की खीर दान कर दी थी तो उसको अगले जन्म में प्रतिदिन 99 पेटी सोना चांदी हीरे जवाहारात दान करने के लिए मिलते थे। जैसे-जैसे जीवन में पाप हिंसा चोरी के कर्म बढ़ेंगे वैसे-वैसे पुण्य काम होता है और पाप कर्म बढ़ते हैं इसलिए सदैव उस पाप कर्म से बचना चाहिए। चतुर्विद संघ तीर्थ के समान होता है। स्कूल में शिक्षक, बस में कंडक्टर, ट्रेन ट्रेन में टीटी सत्संग में संत सब्जी मंडी में सब्जी विक्रेता की बात माननी चाहिए। तो जीवन में सफल हो सकते हैं। परिवार में सभी स्नेह और पवित्र व्यवहार के साथ रहना चाहिए। पुण्य के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ करना चाहिए पुण्य को बचाना है तो पुण्य को अपना चाहिए। सिद्धि तप , तपस्या अनमोल रत्न होती है। आचार्य धर्माबोधी महाराज साहब ने कहा कि धर्म को एकाग्रता के साथ सुनने से सत्य ज्ञान मिलता है। गुरु सदैव शास्त्रों के ज्ञान का संस्कार सिखाते हैं इसी ज्ञान से संत परंपरा का निरंतर निर्वहन होता है। घड़ी भी एक ज्ञान है ज्ञान की बहुत अवमानना नहीं होनी चाहिए। नहीं तो हमारे पाप कर्म बढ़ाते हैं ज्ञान की अवमानना करने से सदैव बचना चाहिए भोजन ग्रहण करने के समय वार्ता नहीं करना चाहिए।

प्रवचन श्रवण करने से इंसान तो ठीक है लेकिन पशु में भी परिवर्तन आ जाता है। कच्चे नमक में भी जीव जीवाणु रहते हैं इसलिए सेंधा नमक का उपयोग करना चाहिए ताकि जीव हत्या के पाप से हम बच सके। चातुर्मास के समय ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए इससे मन पवित्र रहता है और पाप कर्म काम होते हैं। तीर्थ यात्रा में दर्शन और के साथ धर्म अध्यात्म का लाभ भी लेना चाहिए। हम जीवन पर्यंत संकल्प लेवें की जीवन में कभी भी तीर्थ यात्रा में मानव श्रमिक वाली डोली का उपयोग नहीं करेंगे और जीव दया का पालन सदैव करेंगे। पूज्य आचार्य भगवंत श्री जिनसुंदर सुरिजी मसा आदि ठाणा 8 का सानिध्य मिला। आचार्य भगवंत के प्रवचन एवं धर्मसभा हुई। आचार्य जिन सुंदर श्री जी महाराज साहब ने कहा कि अगर तपस्या नहीं करें वह चाहे किसी भी वर्ग में जन्म ले नरक का भागीदार बनता है। पूज्य आचार्य भगवंत ने कहा कि उनकी श्रीसंघ में सामूहिक सिद्धितप एवं अन्य तपस्याए कराने की भावना है।

सामूहिक सिद्धितप जिनको भी करने की भावना हो तो उसके अभिमंत्रित पास आचार्य श्री द्वारा रवि पुष्य मुहूर्त के दिन से पास देना प्रारंभ किए गए। श्री संघ अध्यक्ष गुणवंत सेठिया, सचिव पंकज बोकाडिया ने बताया कि प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे प्रवचन करने के लिए दो-दो आचार्य भगवंत, पन्यास भगवंत एवं 8 साधु भगवंतों के दर्शन वंदन का लाभ नीमच सिटी वासियों को मिला प्रवचन का धर्म लाभ लिया।

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