नीमच । मनुष्य जीवन में की गई तपस्या अनमोल होती है। लाखों रुपए देने के बाद भी तपस्या खरीदी बेची नहीं जा सकती है। सिद्धि तप की तपस्या से अनेक रोग और कष्ट भी मिट जाते हैं। तपस्या के लिए यदि मनुष्य सच्चे मन से पवित्र भावना भी रखें तो वह भी पुण्य फलदाई होती है। एक तपस्वी की तपस्या का पुण्य फल पूरे परिवार को मिलता है। यह बात आचार्य जिन सुंदर श्री जी महाराज साहब ने कहीं। वे वासुपुज्य मंदिर मंडल ट्रस्ट इंदिरा नगर नीमच के तत्वावधान में इंदिरा नगर स्थित आराधना भवन में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पंचतत्व से बना यह शरीर एक दिन पांच तत्व में मिल जाएगा इसलिए अपनी आत्मा के कल्याण के लिए हमें तपस्या की आराधना की साधना करना चाहिए तभी जीवन का कल्याण हो सकता है। जीवों की हिंसा करने से बचने का सदैव प्रयास करना चाहिए। जीव दया बिना पुण्य का फल नहीं मिलता है। जीवो की हिंसा नहीं हो इसी प्रकार जीवन जीना चाहिए तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है।
पूजा करने का लक्ष्य आत्म कल्याण का होता है इसमें पूजा के मध्य कोई जीव हिंसा भी हो जाए तो उसकी क्षमा मांग कर आगे बढ़ना चाहिए। जीवन में उबले हुए पानी के पीने का संकल्प लेवें तो लाखों करोड़ों जीवों की रक्षा कर जीव हिंसा के पाप से बच सकता है और उसके जीवन में पुण्य बढ़ सकता है। आहार करने से भी जीव हिंसा नहीं होती है इसका सदैव ध्यान रखना चाहिए जमीन कंद का उपयोग नहीं करना चाहिए। उबले हुए पान का उपयोग कर अनेक जीवों को अभयदान देने का पुण्य कमाते हैं। कच्चा पानी पीने से जीव दया का पालन नहीं हो पाता है इसलिए इसे सदैव बचना चाहिए। पाप कर्म से सदैव बचना चाहिए। पूर्व जन्म में हमने तपस्या साधना की उसी का परिणाम है कि हमें इस जन्म में मानव कुल मिला है। गाड़ी धन संपत्ति सोना चांदी सब यही संसार में रह जाएगा हमारे साथ सिर्फ हमारे पुण्य कर्म ही साथ जाएंगे इसलिए सदैव पुण्य कर एम करने की ओर फोकस करना चाहिए पाप कर्मों से सदैव बचने का प्रयास करना चाहिए तभी जीवन का कल्याण हो सकता है और आत्मा को मोक्ष मिल सकता है। पुण्य के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ करना चाहिए पुण्य को बचाना है तो पुण्य को अपना चाहिए। सिद्धि तप तपस्या अनमोल रतन होती है। चातुर्मास के समय ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए इससे मन पवित्र रहता है और पाप कर्म काम होते हैं तीर्थ यात्रा में दर्शन और के साथ धर्म अध्यात्म का लाभ भी लेना चाहिए इसके बिना तीर्थ यात्रा अधूरी होती है तीर्थ पर होने वाले पाप को रोकना होगा नहीं तो हमारे जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है हम जीवन पर्यंत संकल्प लेने की जीवन में कभी भी तीर्थ यात्रा में डोली का उपयोग नहीं करेंगे और जीव दया का पालन सदैव करेंगे।
श्री वासु पुज्य मंदिर श्रीसंघ इंदिरा नगर नीमच में प्रवचन के लिए पूज्य आचार्य भगवंत श्री जिनसुंदर सुरिजी मसा आदि ठाणा 8 का सानिध्य मिला। आचार्य भगवंत के प्रवचन एवं धर्मसभा हुई। आचार्य जिन सुंदर श्री जी महाराज साहब ने कहा कि जीव दया नहीं करे तो वह चाहे किसी भी वर्ग में जन्म ले नरक का भागीदार बनता है। सिद्धि तप करने से आत्मा पवित्र होती है और आत्मा का कल्याण होता है। वासु पूज्य मंदिर श्री संघ इंदिरा नगर के अध्यक्ष चंद्रराज कोटीफोडा, सचिव चंचल श्रीमाल ने संयुक्त रूप से बताया कि पूज्य आचार्य भगवंत ने कहा कि श्रीसंघ में सामूहिक सिद्धितप एवं अन्य तपस्याए कराने की भावना है। सामूहिक सिद्धितप जिनको भी करने की भावना हो तो उसके अभिमंत्रित पास आचार्य श्री द्वारा पास देना प्रारंभ किए गए श्रीसंघ में प्रवचन करने के लिए दो-दो आचार्य भगवंत, पन्यास भगवंत एवं 8 साधु भगवंतों के दर्शन वंदन का लाभ नीमच वासियों को मिला प्रवचन का धर्म लाभ लिया। अमृत प्रवचन आज ही इंदिरा नगर वासु पूज्य आराधना भवन में आज गुरुवार सुबह 9:15 बजे अमृत प्रवचन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।