नीमच। दिगम्बर जैन समाज नीमच के तत्वावधान में लाल माटी की पावन धरा नीमच में 8 वर्षों बाद परम पूज्य आचार्या सुमति सागर जी के परम शिष्य परम पूज्य मुनि श्री वैराग्य सागर जी महाराज एवं आचार्य वर्धमान सागर जी के परम शिष्य परम पूज्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज का 2024 का एतिहासिक चातुर्मास के लिये मुनि श्री का मंगल प्रवेश का जुलूस 7 17 जुलाई रविवार को सुबह 8 बजे मैसी फर्ग्यूसन चोराहे से प्रारंभ हुआ। समाज जनों द्वारा मुनि श्री का पाद प्रक्षालन कर भव्य अगवानी की गई। मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि आज मंगल प्रवेश के साथ ही आचार्या वर्धमान सागर जी महाराज का 35 वा दीक्षा दिवस महोत्सव पर दिगंबर जैन मंदिर आगमन पर समाज के 35 दंपति जोड़ो द्वारा मुनि श्री की अगवानी 35 थालिया सजाकर पाद प्रक्षालन किया एवं 35 पौधे वितरण किए गए। इस अवसर पर बैंड बाजे एवं ढोल नगाड़ों की धूमधाम के साथ जुलुस किर्ति स्तम्भ होते हुए नया बाजार घंटाघर पुस्तक बाजार ,40 आफिस के आगे से होता हुआ श्री मंदिर जी पर समापन हुआ ।
मार्ग में स्थान स्थान पर श्रद्धालु भक्तों द्वारा सड़क किनारे 108 प्रवेश द्वार सजा कर मुनी संतो का स्वागत किया गया। समाज जन भजनों की स्वर लहरियां पर नृत्य कर रहे थे। समाज जनों द्वारा गुरूदेव के चरणों का पावन पाद प्रक्षालन किया गया। जुलूस में सभी महिलाएं लाल चुनरी व पुरुष वर्ग धवल वस्त्र में सहभागी बनें। जुलूस में सबसे आगे बैंड बाजों व ढोल ढ़माको थाप पर मधुर भजनों की स्वर लहरिया बिखर रही थी। इसके साथ ही समाजजन जिन शासन की ध्वजा लहराते हुए चल रहे थे। धर्म सभा में मधु बाकलीवाल, प्रेरणा बाकलीवाल ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। वैराग्य सागर महाराज जी ने कहा कि तपस्या और साधना के बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। साधना के लिए चातुर्मास उत्तम समय होता है, 8 माह तक व्यक्ति व्यापार में लगा रहता है चार माह बरसात होने के कारण व्यक्ति को एक ही स्थान पर बैठकर भक्ति तपस्या उपवास की साधना करना चाहिए तो उसकी आत्मा का कल्याण हो सकता है। सदभावना से प्रकृति भी परिवर्तन हो जाती है। गुरु कुछ देते नहीं उनके आशीर्वाद से सब कुछ हो जाता है। धर्मसभा में मुनी सुप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि वर्धमान सागर जी महाराज 35 साल से आचार्य पद पर कार्य कर रहे हैं आचार्य श्री 76 वर्ष कीआयु में 55 पिछियों का समन्वय स्थापित कर समाज सेवा कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं। जैन कुल में जन्म मनुष्य को समाधि मरण के लिए मिलता है। मनुष्य को इसका सदुपयोग करना चाहिए।
जिस घर में साधु के चरण पड़ते हैं वह घर मंदिर बन जाता है। युवा वर्ग जागृत हो और साधु संतों की सेवा में भी अपना समय दान करें। साधु संतो की सेवा करने से जो पुण्य मिलता है उससे अगले जन्म में सद्गति में सहयोग मिलता है। बाद में मंगलाचरण, चित्र अनावरण किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप आचार्य वर्धमान सागर पूज प्रज्वलन, आचा ार पूजन सहित विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए। वर्धमान सागर जी महाराज के पाद प्रक्षालन की बोली विजय विशाल अतुल विनायका जैन ब्रोकर परिवार द्धारा ली गई। शास्त्र भेंट की बोली विमला देवी प्रदीप कुमार विनायका परिवार द्धारा ली गई। मुनि द्वय, द्वारा आचार्य श्री का गुणनुवाद, आहार चर्या सहित विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित हुएं। ब्रह्मचारी पारस भैया द्वारा विभिन्न भजन प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का संचालन अजय कासलीवाल ने किया। 35 वां पदारोहण का 35 पोधो का संजोग दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश, चातुर्मास मंगल प्रवेश की धर्म सभा के मध्य आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज का 35 वां पदारोहण समारोह का आयोजन भी 35 थाल सुखे मेवे सूखे मेवे जल कलश एवं अक्षत सजाकर 35 दम्पती जोड़ो द्वारा विभिन्न भजनों की स्वर लहरियों के साथ पाद प्रक्षालन कर गुरु वंदना से किया। मुनि श्री के पावन सानिध्य में आचार्य श्री की पूजन एवं गुणानुवाद सभा भी हुई। बाहर से आने वाले महानुभावों के आतिथ्य सत्कार एवं समाज का सुबह का स्वामी वात्सल्य सम्पन्न हुआ। आगामी आयोजन 11 जुलाई को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का दीक्षा दिवस एवं 21 जुलाई को मंगल कलश की स्थापना का कार्यक्रम भौ आयोजित किया जाएगा।
उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने दी।