वर्तमान पीढ़ी को सनातन संस्कृति का ज्ञान होना आवश्यक - आचार्य पं. प्रशांत व्यास

Neemuch headlines June 14, 2024, 6:11 am Technology

भारतीय वेद संस्कृति संस्कार पुस्तिका वितरण एवं सिध्द रुद्राक्ष निःशुल्क वितरण अभियान संपन्न जावी। हमारी वैदिक संस्कृति, संस्कार, देव व ऋषि मुनियों की सनातन संस्कृति परंपरा अति प्राचीन है विश्व के समस्त जीवों के कल्याण, सुख, समृद्धि, खुशहाली और निरोगी जीवन के लिये आध्यात्म और हमारी वैदिक संस्कृति आवश्यक है।

वर्तमान पीढ़ी पर पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध व आडम्बर हावी होने लगा है इसलिए वर्तमान पीढ़ी को सनातन संस्कृति का ज्ञान होना और उससे जुड़ना अति आवश्यक है। हमारी वैदिक संस्कृति एवं परम्पराएं अति प्राचीन है जिसका अनुशरण कर विदेशों में धर्म, संस्कृति एवं संस्कारों में जागृति आई है हमारे भारत देश की पुण्यभूमि पर भगवान भी जन्म लेने के लिये आतुर रहते है हमें इस पुण्य भारत भूमि पर जन्म मिला है हम धन्य है इसलिए हमें भी अपनी जिम्मेदारी एवं कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए धार्मिक अनुष्ठानो और संस्कृति व संस्कार के प्रचार प्रसार के कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर सहयोग करना चाहिए। उक्त विचार जावी के श्री संकट मोचन हनुमान मन्दिर पर रुद्राक्ष जनसेवा संस्था परिवार (रजि.) एवं आध्यात्म वास्तु ज्योतिष अनुसंधान केंद्र नीमच के सामूहिक तत्वावधान में धार्मिक अनुष्ठान समिति जावी के सहयोग से वैदिक संस्कृति, संस्कार जनजागरण महाअभियान समारोह के भारतीय वेद संस्कृति संस्कार पुस्तक वितरण एवं सिद्ध अभिमंत्रित रुद्राक्ष वितरण कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय वास्तुविद, वास्तुरत्न, यज्ञरत्न, ज्योतिषचार्य पं. प्रशांत व्यास ने व्यक्त किए। कार्यक्रम में सर्वप्रथम दुर्लभ रुद्राक्ष के निर्मित दिव्य अलौकिक शिवलिंग को सुसज्जित मंच पर विराजमान किया गया और गांव के गणमान्य जन द्वारा मंत्रोपचार से पूजन अर्चन के बाद कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ। ततपश्चात आचार्य पं. प्रशांत व्यास, भागवताचार्य पं. राधेकृष्ण महाराज शामगढ़, आचार्य लोकेश व्यास द्वारा सहयोगियों के साथ बाबा भोलेनाथ की डीजे, ढोल, डमरू, शंख, मजीरें, तासे की सुमधुर धुन के साथ महाआरती की। महाआरती में आकर्षण का केंद्र श्री शिवगंगा दीप व गूगल, कपूर आरती रही। उपस्थित ग्रामवासियों, मातृशक्ति ने हर हर महादेव के जयघोष और ॐ नम: शिवाय के उच्चारण से पूरा परिसर भक्तिमय कर दिया। आचार्य पं. प्रशांत व्यास ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे रीतिरिवाज, परम्पराओं का वर्तमान पीढ़ी में भी बीजारोपण होना चाहिये इसलिये गांव के प्रत्येक धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन में सपरिवार सहभागी बनना चाहिये।

आचार्य श्री व्यास ने रुद्राक्ष महिमा के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी जिसमें 1 मुखी रुद्राक्ष से 14 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से हमारे जीवन में क्या परिवर्तन होते है इसकी विस्तृत जानकारी दी, साथ ही जन्म से मृत्यु तक के सभी संस्कारों को किस धार्मिक पद्धति से किया जाए इसकी भी जानकारी दी। महोत्सव में आचार्य पं. श्री व्यास व सहयोगी आचार्य, भागवताचार्य एवं वाद्ययंत्र पर राहुल वैष्णव व सुनील बैरागी द्वारा दक्षिण भारतीय पद्धति अनुसार श्री शिव तांडव स्त्रोतम, श्री महिषासुर मर्दिनी स्त्रोतम एवं महा मृत्यंजय महामंत्र की ऋचाओं का सामूहिक सुमधुर गायन किया जिससे पूरा पांडाल स्तुतियों में भाव विभोर हो गया। आचार्य पं. व्यास ने बताया कि यह वेद पुस्तक हमारे सभी धर्मग्रंथों, विधाओं और वेदों से सार लेकर लिखी गई है। इसका उद्देश्य सनातन संस्कृति संस्कार और हमारे धार्मिक आयोजन को करने की विधि है। उन्होंने बताया कि हमारी संस्था का उद्देश्य है कि भारत देश ही नही अपितु पूरे विश्व के सभी सनातनी परिवारों में यह पुस्तक पहुंचे जिससे हमारी संस्कृति और संस्कारों का प्रचार प्रसार हो और हमारी युवा पीढ़ी वैदिक रीतिनीति से पहचाने यह हमारा प्रयास है। आचार्य पं. व्यास का संकल्प है कि यह वैदिक संस्कृति संस्कार पुस्तक नीमच जिले के प्रत्येक गांव के प्रत्येक परिवार तक पहुँचे उसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये जावी में यह पुस्तक वितरण का कार्यक्रम किया गया। संस्था द्वारा पूरे भारत देश मे लगभग डेढ़ लाख परिवारों तक यह संस्कृति संस्कार पुस्तक पहुँचाने का कार्य किया है। सैंकड़ों की संख्या में माताओं, बहिनों एवं ग्रामवासियों ने रुद्राक्ष धारण किए और प्रति परिवार के लिये एक वैदिक संस्कृति संस्कार पुस्तिका प्राप्त की। कार्यक्रम की आयोजन समिति में संयोजक दिलीप पाटीदार, अनिल व्यास, घनश्याम लोहार (पंडाजी), ईश्वर सेन, प्रकाश पटेल, श्यामसुंदर पाटीदार, राधेश्याम तिवारी, श्यामसुंदर पाटीदार सहित अनेक समाजबंधुओं, युवाशक्ति का सराहनीय सहयोग रहा।

कार्यक्रम का प्रभावी संचालन एवं आभार महोत्सव संयोजक दिलीप पाटीदार जावी ने किया।

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