नीमच। आधुनिक भाग दौड़ की जिंदगी में मनुष्य ढंग से स्नान पूजा अर्चना भोजन की ग्रहण नहीं कर पाता है। मानव अपने आत्म कल्याण के लिए प्रतिदिन सुबह 1 घंटा पूजा अर्चना का समय निकालें। तभी उसको आत्म कल्याण का मार्ग मिल सकता है। मन में एकाग्रता और पवित्र भाव के बिना आत्म कल्याण का मार्ग नहीं मिलता है।
यह बात तपागच्छीय प्रवरसमिति कार्यवाहक पूज्य गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री विजय अभयदेव सूरीश्वरजी म.सा. ने कही।वे जैन श्वेतांबर भीडभांजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के तत्वाधान में पुस्तक बाजार स्थित नवीन आराधना भवन में सुबह 10 बजे आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे ।उन्होंने कहा कि संतो की अमृतवाणी और प्रवचन सुनने के बाद उन पर आत्म चिंतन मनन करना चाहिए और उसे जीवन में आत्मसात करना चाहिए तभी आत्मा का कल्याण हो सकता है।
समय के महत्व को समझना होगा समय के बिना व्यक्ति जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है।महा पुरुषों के जन्म पर जातिवाद नहीं होना चाहिए। जीवन में संसार में रहते हुए मनुष्य यदि पवित्र भाव से भक्ति जब तपस्या करें तो आत्मा का कल्याण हो सकता है।
संसार में जन्म लेने के बाद यदि मनुष्य समृद्ध बनता है तो अपने सामर्थ्य के अनुसार भूमि और धन का दान देना चाहिए। क्या उपवास का त्याग महत्वपूर्ण होता है साधु संतों के चरणों की राज आत्म कल्याणकारी सिद्ध होती है। व्यसन और नशे से दूर रहना चाहिए तभी जीवन का कल्याण हो सकता है। जीवन में धार्मिक संस्कारों का ज्ञान प्राप्त कर समाज परिवार समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए तभी जीवन का कल्याण हो सकता है।
कुछ काम ऐसा कीजिए कि कुछ नाम हो जाए। संसार में करोड़ों लोग जन्म लेते हैं और मर जाते हैं और संसार को पता ही नहीं चलता है कि व्यक्ति कब जन्मा था और कब मर गया। महिलाएं रसोई घर में रसोई बनाते समय मोबाइल नहीं चलाएं नहीं तो आहार का दुष्प्रभाव बढ़ता है। भोजन बनाते समय प्रभु भक्ति का जाप मन में करते रहें। तभी तो भोजन अमृत के रूप में लाभकारी होता है।
मनुष्य के जीवन में हर कार्य का अंतिम लक्ष्य शांति ही होना चाहिए। धर्म सभा में आचार्य श्री व शिष्य रत्न मार्गदर्शक प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजय मोक्षरत्न सूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 4 एवं साध्वीजी मसा ठाणा 11का सानिध्य भी मिला। श्रीसंघ के वरिष्ठ ट्रस्टीगण मनोहर सिंह लोढ़ा, यशवंतसिंह लोढ़ा एवं सचिव मनीष कोठारी ने विनंती की। नीमच पधारे एवं ज्यादा से ज्यादा दिन नीमच रुके पूज्य गच्छाधिपतीश्री ने नीमच श्रीसंघ की विनती को स्वीकार करके एक दिन का समय नीमच संघ को प्रदान किया।
पूज्य गुरुदेव मंगलवार सुबह चल्दु से विहार करके सुबह 7:30 बजे तक जैन भवन नीमच पहुंचें। नवकारसी सुबह 7:30 से 8:30 बजे तक (जैन भवन पर हुई। श्री जैन श्वेतांबर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में सामैया जुलूस 8:45 पर जैन भवन से प्रारंभ होकर वीर पार्क रोड, कमल चौक, घंटाघर, तिलक मार्ग होते हुए श्री भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिरजी पर पहुंचा एवं उसके पश्चात गुरुदेव के प्रवचन श्री अखेसिंह रेशमदेवी कोठारी आराधना भवन पर हुए।इस अवसर पर श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष प्रेम प्रकाश जैन ने कहा कि 9 वर्षों बाद गुरुदेव का सौभाग्य मिला है अगली बार अधिक समय के लिए आशीर्वाद मिलेगा यही प्रार्थना है।
समाजसेवी अख्खे सिंह कोठारी ने कहा कि गुरु कृपा और मार्गदर्शन से संसार के कठिन से कठिन कार्य भी सरलता पूर्वक पूर्ण हो जाते हैं इसलिए साधु संतों के मार्गदर्शन में जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। पूज्य गुरुदेव के दिन भर की स्थिरता नूतन आराधना भवन पर रही। एवं साध्वीजी मसा पास में पुराने आराधना भवन पर विराजित रहें।पूज्य गुरुदेव का शाम को कनावटी की तरफ विहार हुआ। जहां से वे नया गांव की ओर प्रस्थान करेंगे। तपागच्छीय प्रवर समिति के मुख्य कार्यवाहक एवं डहेला वाला समुदाय के गच्छाधिपति एवं दो- दो आचार्य भगवंत एवं 11 साध्वीजी मसा श्रीसंघ में पधारे। प्रवेश जुलूस एवं प्रवचन में बडी संख्या में समाज जन कार्यक्रम में सहभागी बने।