जिनशासन स्थापना दिवस पर यात्रा में सहभागी बने समाज जन।
नीमच। साधु संतो के त्याग और बलिदान से ही जिन शासन सदैव पुण्य कर्म कीऔर अग्रसर हो रहा है। साधु संतों के पुरुषार्थ से ही जिनशासन 2600 वर्षों से निरंतर चलायमान है। साधु संतो के माता-पिता श्रावक- श्राविका होते हैं।
साधु संतों का त्याग कर्मो का पुण्य पवित्र होता है।यह बात साध्वी प्रवृध्दि श्रीजी मसा ने कही।वे पुस्तक बाजार स्थित नवीन आराधना भवन में रविवार सुबह आयोजित जिन शासन स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में धर्म सभा में उपस्थित जनसमुह को संबोधित करते हुए बोल रहे थे ।उन्होंने कहा कि धर्म ज्ञान के अध्ययन का कर्तव्य श्रावक श्राविका का होता है।
प्राचीन काल में एक बार विजयनगर में धर्म संसद आयोजित की गई थी तब 45 आगम पर अपने विचार व्यक्त करने थे ।जैन समाज के संत 1200 मिल दूर अयोध्या में विचरण कर रहे थे। तब वहां से वे गंगा नदी, विंध्याचल चल पर्वत माला और 40 मिल के घने जंगलों , खाइयो को पार करते हुए विजयनगर पहुंचे और जिन शासन की ध्वजा के लिए त्याग किया। जिनशासन की ध्वजा को विजयी बनाया। जो आज भी प्रेरणा प्रसंग है। साध्वी समृद्धि श्री जी महाराज साहब ने कहा कि जमीकंद लहसुन प्याज बैंगन और रात्रि भोजन का त्याग करना चाहिए। बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध मसालों में लहसुन प्याज मिलाया जाता है इससे बचना चाहिए।
शासन की निंदा नहीं करनी चाहिए क्योंकि एक भूल युगों युगों तक दुखदाई होती है। जिस प्रकार गुरुद्वारे में लोग सर कर ढक कर जाते हैं उसी प्रकार मंदिरों में सर ढककर मर्यादा का पालन करना चाहिए तभी हमारे शासन के धर्म की रक्षा हो सकती है। मंदिर धर्म उपासरों में महिलाएं बालिकाएं शालीन परिधानों में ही प्रवेश करें तो समाज की मर्यादा बनी रहेगी। सामाजिक पारिवारिक मांगलिक कार्यक्रमों में जमीकंद का उपयोग नहीं करना चाहिए इसे सामूहिक पाप लगता है इससे सदैव बचना चाहिए। मनीष कोठारी व राजमल छाजेड़ ने भी अपने विचार व्यक्त किए। बालक सिद्ध गांधी ने जिन शासन की स्थापना दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरवीरति साधु धर्म का पालन तथा यश वीरति श्रावक धर्म का पालन का संदेश देता है। शुद्धि प्रसन्ना श्री जी महाराज साहब प्रवृधि श्री जी महाराज साहब समृद्धि श्री जी महाराज साहब प्रफुल्ल प्रभा श्री जी महाराज साहब वैराग्य पूर्णा श्री जी महाराज साहब आदि ठाना की पावन निश्रा में जैन श्वेतांबर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के तत्वाधान में रविवार सुबह 8 बजे पुस्तक बाजार स्थित नवीन आराधना भवन में जिन शासन स्थापना दिवस मनाया गया।
ट्रस्ट अध्यक्ष अनिल नागौरी सचिव मनीष कोठारी ने बताया कि स्थापना दिवस का जुलूस पुस्तक बाजार स्थित भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर से प्रारंभ हुआ जो 40 विद्युत केंद्र दाना गली चौराहा आदि नगर के विभिन्न क्षेत्रों में होता हुआ पुनः नवीन आराधना भवन में पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गया। कार्यक्रम की श्रृंखला में बच्चे जिन शासन की ध्वजा लिए जिन शासन के संबंध में नारेबाजी करते हुए जुलूस में चल रहे थे। जुलूस का समापन भीड़ भंजन पारसनाथ मंदिर पर हुआ। जहां ध्वज वंदना की गई। महावीर स्वामी ने केवल ज्ञान के पश्चात वैशाख शुद्धि ग्यारस को जिन शासन की स्थापना की थी इसी उपलक्ष में स्थापना दिवस मनाया गया।
राष्ट्र धर्म सर्वोपरि का संकल्प लिया गया :-
इसअवसर पर जैन समाज के उपस्थित सभी श्रावक श्राविकाओं ने जिन शासन के धर्म उपदेशों का पालन करते हुए राष्ट्र धर्म सर्वोपरि का सामूहिक संकल्प भी लिया।