माहेश्वरी, ब्राम्हण, छिपा दर्जी एवं स्वर्णकार समाज की महिलाओं ने निकाली अलग अलग झैल, शाम को दिये गणगौर के झाले
रतनगढ। महिलाओं ने अपने सुहाग की सलामति एवं कुंवारी कन्याओ ने अच्छे वर की कामना को लेकर रतनगढ मे भी प्रति वर्षानुसार मनाए जाने वाले आस्था प्रेम एवं पारिवारिक सौहार्द के प्रतीक गणगौर पर्व को सभी समाज वर्ग की महिलाओं और युवतियों के द्धारा धुमधाम व हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर रतनगढ मे माहेश्वरी समाज, ब्राह्मण समाज, छिपा दर्जी समाज एवं स्वर्णकार समाज की महिलाओं एवं युवतियों के द्वारा बैंड बाजो की धुन पर मधुर स्वर लहरियो के बीच नाचते गाते सजधज कर नगर के सभी प्रमुख मार्गो से गणगौर की झैल निकाली गई। जो श्री माहेश्वरी समाज भवन, श्री गोवर्धन नाथ मंदिर मार्ग, मूंदडा मोहल्ला, सदर बाजार, झंडा चौक, माहेश्वरी मोहल्ला, गरबा चौक, पूराना बस स्टैंड,सब्जी मण्डी चौराहा, विवेकानन्द मार्केट होते हुए पुन:अपने अपने निर्धारित स्थान जहां से झैल प्रारंभ हुई।वही पर पहुंच कर समाप्त हुई।इस दौरान चारो समाज की महिलाओं व युवतियों के द्वारा अलग-अलग गणगौर की झैल निकाली गई।झैल मे शामिल महिलाओं का जगह जगह शीतल पेय, शर्बत, आईसक्रीम एवं स्वल्पाहार से स्वागत किया गया। इस अवसर पर माहेश्वरी समाज की झैल में श्रीमति अनिता मंडोवरा, श्रीमति सुनिता खटोड़, श्रीमति रानी बाल्दी, श्रीमति रिंकू सोनी, श्रीमती अरुणा मंडोवरा, श्रीमति मोनिका मंडोवरा, श्रीमति पूनम सोनी, श्रीमती पिंकी मूंदड़ा, श्रीमति प्रेमलता सोडानी, श्रीमति वंदना लढा, श्रीमति सपना मंडोवरा, श्रीमति साधना लढा, श्रीमति संगीता ईनाणी, छिपा दर्जी समाज की झैल में श्रीमती सुनिता टैलर, श्रीमती टिना टेलर, श्रीमति किरण छिपा, श्रीमति रामकन्या बाई छिपा, श्रीमती शीला छिपा, श्रीमती सुनीता छिपा, श्रीमती विद्या छिपा, श्रीमती कुसुम छिपा, ब्राह्मण समाज की झैल में श्रीमती सीमा व्यास, श्रीमति पूजा पाराशर, श्रीमती लक्ष्मीदेवी नागदा, श्रीमती अनिता शर्मा, श्रीमती रेखा नागदा, श्रीमति कोमल पाराशर स्वर्णकार समाज की झैल मे श्रीमती मंजू देवी सोनी, श्रीमती निक्की सोनी, श्रीमती सम्पत बाई सोनी, श्रीमति मधु सोनी सहित बडी संख्या मे समाज की महिलाएं व युवतियां उपस्थित थी। गणगौर की महत्ता :- ज्ञात रहे कि महिलाओं के द्वारा अपने सुहाग की सलामति एवं युवतियों के द्वारा अच्छे वर की कामना के लिये किया जाने वाला गणगौर पर्व जिसे हर महिला व युवती के द्वारा मनाया जाता है।इसमें कुंवारी कन्या से लेकर,विवाहित स्त्री दोनों ही पूरे विधी-विधान से गणगौर जिसमे भगवान शंकर, ईसर जी व माता पार्वती का पूजन किया जाता है।इस पर्व पर कुंवारी कन्या अच्छे वर की कामना को लेकर व विवाहित स्त्रीया अपने पति के स्वस्थ व दीर्घायु जीवन व लम्बी उम्र की कामना के लिये व्रत करती है।इस पर्व पर गणगौर पूजा के पश्चात गणगौर माता व गणेश जी की कहानी सुनी जाती है।दिन भर व्रत रखकर गणगौर के गीत गाते हुए बैंड बाजों की धुन पर नाचते गाते सभी प्रमुख मार्गों से झैल (झूलुस) निकाले जाते हैं।और शाम को गणगौर को झाले दिए जाते हैं।