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यदि सही दिशा मिल गई तो गति भी मिल जाएगी - आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी, आचार्य श्री ने विहार के लिए बढाए कदम, धर्म सभा प्रवाहित

Neemuch headlines November 29, 2023, 7:23 pm Technology

नीमच। श्री जैन श्वेतांबर वृहत तपागच्छीय त्रिस्तुतिक मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच सिटी के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा के प्रवचन हुए। यात्रा गति से दिशा की ओर विषय पर विशेष प्रवचन देते हुए आचार्य श्री ने चार गति और चार दिशा की विस्तृत जानकारी दी । उन्होंने पैसा, प्रशंसा प्रसिद्ध और पुरस्कार को गति तो प्रेम, प्रसन्नता, परमार्थ और पवित्रता को दिशा बताया। वे चातुर्मास विदाई विहार के उपलक्ष्य में खेड़ी मोहल्ला नीमच सिटी खीर भवानी रिसोर्ट भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने हमें तेज स्पीड तो दे दी लेकिन दिशा नहीं दी। यदि हम गलत जाएंगे तो मंजिल नहीं मिलेगी। जीवन में पहले दिशा होना चाहिए और फिर गति इसके लिए यदि प्रभु से कुछ मांगना हो तो दिशा को मांगो क्योंकि सही यदि सही दिशा मिल गई तो गति भी मिल जाएगी। आचार्य श्री ने कहा कि जीवन में पैसे के साथ प्रेम भी होना चाहिए लेकिन वर्तमान दौर में पैसा बढ़ने के साथ जीवन में प्रेम घट रहा है। जो सोचने की बात है पैसा गति है तो प्रेम दिशा है। सत्कार्य करते रहना चाहिए और यह करने के बाद जब किसी को बोलने का मन हो तब समझ लेना कि आपको सत्कार्य में नहीं प्रशंसा में रस है। हमारे जीवन में सदैव पवित्रता होना चाहिए पुरस्कार की चाहत नहीं। यदि हम मंदिर में नियमित सच्चे मन से पूजा साधना आराधना करें तो बड़े से बड़ा कानून और बड़ी से बड़ी सजा भी वापस हो सकती है। हृदय में परमात्मा हो तो हमारे पास किसी भी प्रकार का पाप आने का विचार ही नहीं आएगा। हम सच्चा सुख चाहते हैं तो परमात्मा की आज्ञा माने, सुख दोगे तो सुख मिलेगा। जमीकंद का त्याग करेंगे तो जीव दया का पुण्य बढ़ेगा। परमात्मा की वाणी और उपदेश को मन बिना मनुष्य अधूरा रहता है। साधु की अमृतवाणी सुनने का कर्म करे तो हमारे पाप कर्म मिट सकते हैं। संत दर्शन बिना जल ग्रहण नहीं करने के नियम का संकल्प लेना चाहिए तो हमारा कल्याण हो सकता है। परमात्मा की वाणी और उपदेश के प्रति आत्मसमर्पण का भाव होना चाहिए तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है प्रवचन योग अति दुर्लभ होते हैं। हमारी आत्मा पवित्र होती है तभी प्रवचन का योग मिलता है। उनका कौन सा शब्द हमारा जीवन परिवर्तन कर सकता है यह किसी को पता नहीं होता है। यदि हम अमृत प्रवचन में नियमित सुनते हैं तो बड़ी से बड़ी दुर्घटना भी टल सकती है और बड़ी से बड़ी बीमारी भी ठीक हो सकती है। परमात्मा के प्रति सच्चा विश्वास श्रद्धा बलवान हो तो कठिन से कठिन समस्या का निराकरण भी सरलता से हो जाता है। जीव दया और जीव रक्षा के लिए यदि हमें प्राणों की बलिदान भी देना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए। धर्म सभा में. महेंद्र चौधरी, भूपेंद्र चौधरी, सुनीता चौधरी, उमराव सिंह राठौड़ रिंकू राठौर सोनम चौधरी सहित अनेक समाज जन उपस्थित थे। श्री संघ अध्यक्ष गुणवंत सेठिया, सचिव पंकज बोकडिया ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पवनचन्द्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का र्भी सानिध्य मिला।

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