निम्बाहेड़ा । भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ के मध्य की सीमा में स्थित है जोगणिया माता मंदिर, जिसकी ख्याति इतनी दूर तक फैली हुई है कि जोगणिया माता मंदिर पर राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भी भक्त दर्शन करने आते हैं, बडी संख्या में बूंदी, कोटा, चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा के भक्त माता रानी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इस प्राचीन मंदिर की खासियत यह है कि यहां एक साथ कई देवियों का दर्शन लाभ एक साथ मिल जाता है. यहां एक मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में लोग अपराध छोड़ने की संकल्प भी लेते है. जिसके बाद वह यहां हथकड़ी चढ़ाते। मंदिर में गुजरात से आए भक्त महेश ईनाणी ने कटा कि हमने सुना था कि यहां पर आने से मनोकाम पूरी हो जाती है. हम यहां बीते कई साल से मात रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं. जोगणिया माता मंदिर के पुजारी अंबालाल ने कहते हैं कि यह मंदिर हजारों साल प्राचीन मंदिर है.
यहां पर भक्त जो भी मनोकामना मन्नत लेकर पहुंचते हैं उनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। एक ही परिसर में 64 देवियों के दर्शन मंदिर के पुजारी के अनुसार इस प्राचीन प्रमुख पीठ जोगणिया माता मंदिर परिसर में चारों और अनेकों देवीयो की प्रतिमा की स्थापना की गई हैं. इनमें 64 जोगणिया देवियों के स्वरूप के रूप में प्रतिमा स्थापित की गई है. जिसमें विशेष रूप से भारत माता, मां शैलपुत्री, मृदंग वादिनी, वीणा वादिनी, मां महागौरी, शहनाई वादिनी, माता कालरात्रि, माता सूर्यपुत्री, माता वायु वीणा और अघोर, माता भद्रकाली, माता धूमावती, माता गंधारी, माता सर्वमंगला, माता अजीता, माता गंगा, मां चामुंडा, मां मूर्ति, मा वायु वेगा, माता ब्राह्मी, माता ज्वालामुखी माता, आयोगनी मां, यमुना, मां चंद्र कांति माता समुद्र, माता नारायणी, माता उमा, माता काली, माता स्तुति माता, गटाबरी माता, कामायनी माता, अंबिका मां महेश्वरी माता कावेरी माता रात्रि, मां कंकाड़ी सहित कहीं देवियों के दर्शन भक्तों को एक ही परिसर में होते हैं.