नीमच । सकारात्मक सोच से आत्म कल्याण होता है। धर्म के एक-एक शब्द का अपना अलग प्रभाव होता है इसलिए विवेक के साथ वाणी का प्रयोग करें। ज्ञानी गंभीरता से चिंतन करते हैं। धर्म ज्ञान का एक छोटा सा अंश मात्र भी व्यक्ति को महान बना देता है। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दिवाकर संत चौथमल जी महाराज साहब के प्रवचन धार्मिक ज्ञान आज भी नई ऊर्जा का संचार करता है। तनाव को दूर करता है। आचार्य खूबचंद जी महाराज ने देशवासियों को मुक्ति जीव दया का मार्ग बताया था जो आज भी आदर्श प्रेरणादाई प्रसंग है। एक छोटा सा बीज वटवृक्ष बन सकता है। एक छोटा सा ज्ञान व्यक्ति को महान बना सकता है। धार्मिक संतों के उपदेश व्यक्ति को महानता की ओर अग्रसर करते हैं। धर्म ज्ञान का कल्पवृक्ष जीवन में आत्मसात करें तो दरिद्रता नहीं आती है। कामधेनु पुण्य कर्म की आराधना करें तो जो मांगते हैं वह मिलता है। जिसके पास चिंतामणि रत्न होता है उसे कभी किसी चीज का अभाव नहीं होता है।
एक चिंगारी से लकड़ी का ढेर आग में परिवर्तित होकर राख में बदल जाता है। इसी प्रकार पाप का एक कर्म भी हमारे जीवन को नष्ट कर सकता है इसके सदैव पुण्य कर्म करते रहना चाहिए । धर्म के एक पुण्य की चिंगारी पाप को जला कर नष्ट कर सकती हैं। धार्मिक भक्ति का पुण्य पाप को जला देता है। साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा आचार्य खूबचंद जी महाराज साहब का 150 वर्ष पूर्व जन्म 21 नवंबर को निंबाहेड़ा राजस्थान में हुआ था उनके पिता टेकचंद जी माता गेंदाबाई के एक सामान्य परिवार में हुआ था। 16 वर्ष की उम्र में उनका विवाह अठाना मध्य प्रदेश के देवीलाल बोहरा की पुत्री समर कुंवर के साथ 1946 पूर्णिमा को हुआ था। वैराग्य के भाव नियमित हुआ था पिता ने कहा खूब उठो अभी तक सोया है वास्तव में सो रहा हूं मुझे उत्तम कल्याण की ओर बढ़ना है और इस प्रकार आचार्य श्री खूबचंद जी महाराज साहब ने दीक्षा ग्रहण कर ली थी । आज भी उनके आदर्श उपदेश लोगों को प्रेरणादाई मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
दोपहर 1 बजे दया गोचरी का आयोजन किया गया। तपस्या उपवास के साथ नवकार महामंत्र भक्तामर पाठ वाचन, शांति जाप एवं तप की आराधना भी हुई। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की। धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा., अरिहतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया।