मंदिर शिखर ध्वजा धर्म संस्कारों की संवाहक - आचार्य प्रसन्न चंद्र सागर जी महाराज, वासु पूज्य जैन मंदिर ध्वजा चढ़ावा कार्यक्रम संपन्न।

Neemuch headlines November 21, 2023, 6:28 pm Technology

नीमच । शिखर की ध्वजा दर्शन करने से मन को शांति मिलती है। कष्ट दूर होते हैं। सकारात्मक सोच की नई ऊर्जा मिलती है। मंदिर शिखर ध्वज धर्म संस्कृति की संवाहक है। शिखर ध्वज नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर नष्ट करती है और सकारात्मक ऊर्जा का वितरण करती है। यह बात जैन श्वेतांबर वासु पूज्य मंदिर ट्रस्ट श्री संघ इंदिरा नगर, नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी महाराज ने कही। वे इंदिरा नगर स्थित वासु पूज्य जैन मंदिर में 21 नवंबर को वार्षिक ध्वजा के निमित्त विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान के मध्य आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा किमंदिर शिखर ध्वज का फल कभी निष्फल नहीं जाता है इसका पुण्य जीवन में सुख समृद्धि लाता है। जीवन में अपने पाप कर्मों का क्षय करने के लिए मंदिर शिखर ध्वज में का पुण्य धर्म लाभ लेना चाहिए ताकि आत्मा का कल्याण हो और मन को शांति मिले । संसार में रहते हुए व्यक्ति से कई बार अनेक पाप कर्म हो जाते हैं उन पाप कर्मों से बचने के लिए अपना पुण्य बढ़ाने हेतु साधु मनोरथ छःरी पालित यात्रा, दीक्षा, साधु उपाधि, साधु सेवा, मंदिर जीर्णोद्धार, ध्वजा चढ़ावा आदि धार्मिक अनुष्ठान कर जीवन को ऐसा बनाना चाहिए की आत्मा पवित्र हो और मन शांत रहे।

कभी जीवन का कल्याण हो सकता है। चतुर्वेदी संघ का धर्म पुण्य का लाभ पुण्य कर्म से ही मिलता है। चतुर्विद संघ को देवता भी नमन करते हैं। लोग संसार में पड़ोसी परिवार मित्रों से लड़ाई करते हैं। यदि जीवन का कल्याण करना है तो परमात्मा से लड़ना चाहिए लेकिन लोगों को परमात्मा से लड़ाई झगड़ा करना आता ही नहीं है। यदि हम परमात्मा से झगड़ा करेंगे तो हमारा कल्याण हो सकता है। परमात्मा के सामने रोएंगे तो वह हमें मुस्कान की खुशियां लौटा देगा यदि हम संसार के सामने रोएंगे तो और रुलाएंगे । व्यक्ति को जो कुछ मिलता है उसके पुण्य कर्म से ही मिलता है लेकिन उसमें परमात्मा की कृपा भी शामिल रहती है। परमात्मा के बिना व्यक्ति का जीवन नहीं चलता है। जिस प्रकार मंदिर की शिखर ध्वज लहराती है।

उसी प्रकार जीवन में खुशियां लहराती है मंदिर की प्रतिमा और ध्वजा के दर्शन पर चेहरा प्रसन्न हो जाता है। इस अवसर पर नवकार मंत्र का जाप किया गया। सभा में दादा वीर मणिभद्र, नाकोड़ा देव, वासु पूज्य दादा मंदिर शिखर ध्वजा सहित विभिन्न धार्मिक चढ़ावे की बोलियां लगाई गई जिसमें समाज जनों ने अपार उत्साह के साथ भाग लिया। इसके लिए आचार्य श्री आदि ठाना 2 का मंगल प्रवेश सामैया जुलूस मंगलवार सुबह 8 बजे इंदिरा नगर डाक बंगला परिसर से प्रारंभ हुआ। श्री संघ अध्यक्ष चंद्रराज कोठीफोडा, सचिव चंचल श्रीमाल ने बताया कि सुबह 9 बजे अमृत प्रवचन हुए। तत्पश्चात नवकारसी का आयोजन किया गया। धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा का सानिध्य भी मिला। समाज जन उत्साह के साथ उपस्थित थे। चार्य श्री का चातुर्मास परिवर्तन कार्यक्रम 24 को आचार्य श्री का चातुर्मास परिवर्तन धार्मिक कार्यक्रम आगामी 24 नवंबर को चोकन्ना बालाजी के सामने अल्फा स्कूल के पास गांधी परिवार के आवास समीप अ आयोजित किया के जाएगा।

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