उदयपुर जिले के रुण्डेड़ा में दिखा लाल गर्दन वाला सारस पक्षी, चोंच काली, गर्दन और पीठ मखमली, ब्लैक स्टॉर्क पक्षी से बढ़ी रुण्डेड़ा तालाब की रौनक,

Neemuch headlines November 18, 2023, 7:23 pm Technology

रुण्डेड़ा । सर्दी अपने साथ ठंडक और सूखा लाती है। लेकिन यह अपने साथ दूर-दूर से यात्रा करने वाली उड़ान सुंदरियों को भी लेकर आता है। कम तापमान से बचकर ये पक्षी गर्म क्षेत्रों की तलाश में यात्रा करते हैं। हर साल, पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियाँ अपने प्रजनन क्षेत्रों में जमा देने वाली ठंड से बचने के लिए भारत की ओर पलायन करती हैं। अब जैसे जैसे वातावरण में ठंडक घुलेगी, वैसे वैसे मेवाड़ केजलाशयों पर प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा भी होगा।

पक्षियों को देखने के लिए पक्षी विशेषज्ञ तालाब पर पहुंच रहे है, उदयपुर से आए वाइल्ड लाईफ फोटोग्राफर रोहित द्विवेदी ने रुण्डेड़ा तालाब पर ब्लैक नेक्ड स्टोर्क, ओस्प्रे, यूरेशियन स्पून बिल, इजिप्शियन वल्चर, इंडियन स्पोटेड ईगल, यूरेशियन विजन, स्पोटेड डक, बार हेडेड़ गूज, रडी शैल डक, नॉर्दन पिनटेल, कॉमन पोचार्ड, लिटिल ग्रीब, चेस्टनट बिल्ड सेण्ड ग्राउज, मार्श हैरियर, सारस क्रेन, कॉमन क्रेन, लिटिल रिग्ड प्लॉवर, ब्लैक टेल्ड गॉडविट, रफ, कॉमन सेंडपाईपर, वूलीनेक्ड स्टोर्क, ग्रे हेरॉन, पर्पल हेरॉन, ब्लेक विंग्ड काईट पक्षी देखे और अपने कैमरे में पक्षियों की अठखेलियो को कैद किया। स्थानीय पक्षी प्रेमी लखन मेनारिया, रामेश्वर लाल हिमावत, प्रह्लाद मेनारिया, रामलखन छपन्या, सुरेंद्र मेनारिया, नीरज मेनारिया को द्विवेदी ने बताया की वे काफी लंबे समय से रूण्डेडा तालाब पर पक्षीयों के फोटाग्राफ्स लेने आ रहे है लेकिन उन्होनें तालाब पर इस पक्षी को पहली बार देखा है। काली गर्दन वाला सारस एक बड़ा पक्षी होता है। यह 129-150 सेमी लंबा होता है और इसके पंखों का फैलाव 230 सेमी तक होता है।

काली गर्दन वाला सारस ( एफपिओरिन्चस एशियाटिकस ) सारस परिवार का एक लंबा गर्दन वाला पक्षी है। यह भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में एक निवासी प्रजाति है। इसका सिर चमकदार नीला काला इंद्रधनुषी जैसा होता है नर और मादा में अंतर इनकी आखों से किया जा सकता है मादा की आंखें चमकदार पीली होती है जबकि नर की आंखें गहरे भूरे रंग की होती है। भारत में, यह प्रजाति पश्चिम, मध्य उच्चभूमि और उत्तरी गंगा के मैदानी इलाकों में पूर्व में असम घाटी तक फैली हुई है, लेकिन प्रायद्वीपीय भारत में थोड़ा दुर्लभ है। काली गर्दन वाले सारस विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक और कृत्रिम आर्द्रभूमि आवासों में भोजन करते हैं। वे अक्सर मीठे पानी, प्राकृतिक आर्द्रभूमि आवासों जैसे झीलों, तालाबों के आस पास अपने भोजन की तलाश करते हुए दिखाई देते है। भारत में घोंसले का निर्माण मानसून के चरम के दौरान शुरू होता है,

अधिकांश घोंसले सितंबर-नवंबर के दौरान बनाये जाते है। ये अपने घोंसले बडे बडे पेड़ो पर बनाते है और ये अपने घोसलों का उपयोग हर साल पुन: करते है। सामान्यतः ये 3 से 4 अंडे देते है जिनसे लगभग 30 दिनों के बाद बच्चे निकलते है। जोड़ा बच्चों को 3 से 4 महीने तक भोजन देते है और 1 साल तक बच्चो के आसपास ही रहते है।

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