नीमच । जीवन में सम्यक आचरण करें, धर्म के प्रति समर्पण रखें जो भी धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखता है धर्म हर जगह उसकी रक्षा करता है । कई धर्म आगमों में ऐसे वृतांत मिलते है। धर्म के प्रति सच्चा समर्पण के बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी आवक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि राजा श्रेणीक के पास अथाह धन संपत्ति थी लेकिन वह समर्पण भाव से धार्मिक प्रवचन में सदैव उपस्थित होते थे और अपने कर्तव्य का निर्वहन करते थे उनके पिछले जन्म के पुण्य कर्मों का परिणाम था कि वह धर्म कर्म के प्रति सदैव सजग रहते थे जो व्यक्ति धर्म के प्रति सजग रहता है वह सदैव स्वस्थ रहता है धर्म ही हमारे जीवन का प्रमुख आधार होता है। धर्म कर्म के लिए किए गए पुण्य कर्म जन्म जन्म तक साथ रहते हैं वह कभी साथ नहीं छोड़ते हैं। संसार के पाप कर्मों की सजा तो संसार में बार-बार जन्म लेकर मिलती है। पशु पक्षी त्रियंच प्राणी शाकाहारी होते हैं। कबूतर और तोता इसका उदाहरण है । यह पक्षी शाम को 6 बजे बाद रात्रि आहार नहीं करते हैं। जो व्यक्ति धर्म को जीवन में धारण करता है तो धर्म सदैव उसे ऊपर उठाता है। गौतम स्वामी का उदाहरण हमारे सामने है। उन्होंने अपने धर्म का पालन किया तो धर्म ने उन्हें ऊंचाई पर उठाया था। जो कोई व्यक्ति सच्चे मन से धर्म को स्वीकार करता है तो उसकी आत्मा का कल्याण होता है। साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने महावीर स्वामी की अंतिम देशना और उत्तराधययन सूत्र के अनुसार आत्म कल्याण के लिए सदैव पुण्य कर्म करना चाहिए।
पाप से सदैव बचना चाहिए। वैदिक दर्शन के अनुसार सती सावित्री ने यमदूत को सुत के कच्चे धागे से बांधा और पति को जीवनदान दिलाया। इस प्रकार जैन दर्शन में 16 महासतिया हुई है इसमें सती सुभद्रा ने मुनि के आंख से कांटा निकाला। सुभद्रा ने कच्चे सूत की रस्सी बनाकर चलने से कुएं में से भी पानी भरकर निकाला और चंपा नगरी का दरवाजा खोल दिया था ब्रह्मचारी की शक्ति का श्रद्धा के साथ पालन करें तो सब कुछ अच्छा होता है। धर्म सभा में राम प्रसाद राठौर दलोदा, त्रिलोक बाफना प्रतापगढ़ अतिथि के रूप में उपस्थित थे। रविवार को क्रियोदारक आचार्य हुकुमचंद जी महाराज साहब का जाप का आयोजन किया जाएगा। इस तपस्या उपवास के साथ नवकार महामंत्र भक्तामर पाठ वाचन, शांति जाप एवं तप की आराधना भी हुई। सभी समाजजन उत्साह के साथ भाग लेकर तपस्या के साथ अपने आत्म कल्याण का मार्ग प्राप्त कर रहे हैं। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की। धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा, अरिहंतमुनिजी म. सा. ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भांग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया।
धर्म सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया।