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प्रभु धर्म मर्यादा के पालन बिना सच्चा सुख नहीं मिलता है- आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी, चातुर्मासिक मंगल धर्म सभा प्रवाहित

Neemuch headlines November 1, 2023, 5:20 pm Technology

नीमच । मनुष्य जन्म दुर्लभ है बड़ी कठिनाई से 84 लाख योनि के बाद मिलता है। सुखी रहना है तो प्रभु धर्म की मर्यादा का पालन करना होगा जिस प्रकार कानून की मर्यादा का उलंघन करने पर न्यायालय से सजा मिलती है उसी प्रकार यदि हम प्रभु धर्म की मर्यादा का पालन नहीं करेंगे तो कष्ट के रूप में सजा मिलेगी इसलिए हम पाप कर्म से बचे पुण्य कर्म करें। जिन शासन की मर्यादा का पालन करना चाहिए तभी जीवन सार्थक सिद्ध होगा । प्रभु धर्म की मर्यादा के पालन बिना सच्चा सुख नहीं मिलता है। यह बातश्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में जाजू बिल्डिंग के समीप पुस्तक बाजार स्थित नवनिर्मित श्रीमती रेशम देवी अखें सिंह कोठारी आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जीव दया का पालन ही आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है जीव दया करेंगे तो परिणाम शुभ होंगे । जीव हिंसा होगी तो परिणाम भी जितना भौतिक संसाधन ज्यादा उपयोग करेंगे अशुभ होंगे। उतना ही पाप कर्म बढ़ेगा जैसे कर्म करेंगे वैसा ही फल हमें मिलेगा। हम परिवार के लिए पाप कर्म करेंगे तो भी फल तो हमें ही मिलेगा। दूसरों के लिए आदिकाल से कार्य कर रहे हैं पहले आत्मा की साधना करना चाहिए फिर दूसरों की भलाई के लिए साधना करना चाहिए। मनुष्य का पूरा जीवन दूसरों चिंता में बितता है। शरीर भी पराया है आत्मा ही सिर्फ हमारी है। दूसरों की चिंता करना ही दुख का मूल कारण है। जिससे हमें कोई लाभ नहीं होता फिर भी हम अनुमोदना करते हैं। हम दूसरों की बुराई निंदा नकारात्मक सोच और बेकार सोच को ग्रहण कर लेते हैं और पाप में गिर जाते हैं। जल बिना जीवन अधूरा है ठीक उसी प्रकार परमात्मा की आज्ञा और मर्यादा के बिना सांसारिक जीवन अधूरा है। यदि हम मन में भी बुरे विचार भी सोचते हैं तो भी हम नरक के भागी बन सकते हैं। हमारे विचार किसी की हिंसा और दुख का कारण नहीं बनना चाहिए इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सुइ व चाकू पड़ोसी के मांगने पर भी नहीं देना चाहिए। यह पाप के फलदाई है। इनका दुरुपयोग हो सकता है और उसका पाप अंश हमें भी लगेगा। जो परमात्मा को आगे रखता है वह सदैव बचता है। श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य 'साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला। समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।

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