नीमच । मानव जीवन में नवपद आराधना ओली तपस्या के महत्व को समझना जरूरी है। जितने भी प्रकार के तप है, उनमें नवपद आराधना ओली श्रेष्ठ तपस्या है जो व्यक्ति सांसारिक मोह का त्याग कर देता है वह अपनी आत्मा में रमण करने लगता है। वही व्यक्ति नवपद आराधना ओली की तपस्या का वास्तविक रूप से पालन कर पाता है।
यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में नवपद आराधना ओली जी तपस्या की शक्ति को पहचानना जरूरी है । अपने जीवन में जो क्रोध है उसका दमन करें वह विषयों का वमन करें केवल अपनी आत्मा में रमण करना चाहिए। प्रर्वतक श्री ने कहा कि प्रभु महावीर मुनि गणों में श्रेष्ठ माने जाते हैं। उन्होंने तपस्या को मन वचन काया तीनों से ही अपनाया प्रभु महावीर सांसारिक मोह माया में नहीं उलझे उन्होंने युवावस्था में ही संयम ले लिया था उनका पूरा जीवन तपस्या का पालन करते हुए व्यतीत हुआ है।
प्रभु महावीर ने हमें समभाव में रहने की प्रेरणा दी है जो भी व्यक्ति समभाव में रहता है उसे कोई भी दुख परेशान नहीं कर सकता है। प्रर्वतक श्री ने कहा कि प्रभु महावीर को दीक्षा के बाद संयम देव के 6 माह तक उपसर्ग सहने पड़े थे। अस्ति ग्राम में पहुंचने पर यश ने उनको पूरी रात को उपसर्ग दिए लेकिन प्रभु महावीर ने समभाव रखा था और वह तकलीफ को सहन करते गए इसीलिए वह वीर से महावीर बन गए। गुण सुंदरी एवं श्रीपाल ने कौडियों के बीच रहकर मन वचन काया से कुष्ठ रोगियों की सेवा की तो परिणाम स्वरूप उनका भाग्य उदय हुआ और उनके पुण्य प्रबल पवित्र बन गया। महा सती सत्य साधना श्री जी, श्री अरुण प्रभा श्रीजी मसा का जन्मदिन है। उन्होंने जीवन पर्यंत आयम्बिम तपस्या कर लोगों को धर्म से जोड़ने की प्रेरणा दी है संघ समाज और धर्म से जोड़ते हुए आत्म कल्याणु का मार्ग दिखाया है।
साधु संत और महापुरुषों का जीवन चरित्र आदर्श प्रेरणादाई होता है। उनके बताएं उपदेशों पर चलकर हम अपने जीवन को महान बनाएं और अपनी आत्मा का कल्याण करें तभी हमारा महापुरुषों की जयंती बनाना सार्थक सिद्ध होगा। नवपद ओली तप की आराधना प्रवाहित प्रातः 9 बजे से नवपद आराधना ओली जी की तपस्या प्रारंभ हुई इसके अंतर्गत आयम्बिल तपस्या उपवास के साथ नवकार महामंत्र भक्तामर पाठ वाचन, शांति जाप एवं तप की आराधना भी हुई। सभी समाजजन उत्साह के साथ भाग लेकर तपस्या के साथ अपने आत्म कल्याण का मार्ग प्राप्त कर रहे हैं। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा., अरिहंतमुनिजी म. सा, ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया। नमो थुणम के जाप आज, रविवार प्रातः 9बजे दिवाकर भवन में नमो थुणम के जाप आज आयोजित किए जाएंगे,