नीमच। चातुर्मास के लिए नीमच में विराजित साधु मार्गी जैन संघ आचार्य श्री रामेश की आज्ञा अनुवर्ती महासती राजुल श्री जी महाराज साहब को विगत सोमवार उपाध्याय प्रवर श्री राजेश मुनि ने चौविहार संथारा के प्रत्याख्यान ग्रहण करवाए थे।
राजवी राजुल श्री महाराज साहब ने 70 वर्ष की आयु में गुरुदेव से मांगलिक श्रवण के बाद बुधवार सुबह 7:02 बजे अंतिम सांस ली। साध्वी राजुल श्री जी महाराज साहब की चक डोल यात्रा बुधवार सुबह 10 बजे राजस्व कॉलोनी से निकाली गई जो नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई नीमच सिटी रोड स्थित मुक्तिधाम पर पहुंची जहां उनका अंतिम संस्कार वैदिक पद्धति से किया गया उनके पार्थिव देह को उनके सांसारिक परिजनों पुत्र कमल विमल पंकज लोढा श्री संघ पदाधिकारीयों ने मुखाग्नि दी। प्राप्त जानकारी अनुसार साध्वी राजुल श्री जी महाराज साहब का दीक्षा पर्याय 19 वर्ष का था। हाल ही में उनका चातुर्मास नीमच में था। उन्होंने नीमच सहित देश भर में अनेक स्थानों पर चतुर्मास कर कठोर तपस्या ज्ञान साधना अनुशासन का मार्ग प्रदान किया था।
6 अक्टूबर 1953 को बड़वानी क्षेत्र के अंजड़ गांव में उनका जन्म हुआ था। उनके अंतिम संस्कार स्थल मुक्तिधाम पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में अखिल भारतीय साधु मार्गीय जैन संघ बीकानेर के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र गांधी ने कहा कि साध्वी राजुलश्री जी महाराज साहब हर पल भक्ति और शक्ति की शांति में लीन रहती थी। देवगुरु धर्म के प्रति उनकी अद्भुत श्रद्धा थी । संयम के प्रति वे सदैव जीवन पर्यंत सजग रही। उनके निधन से जो क्षति हुई है वह जिन शासन में कभी पूरी नहीं हो सकती है। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रघुराज सिंह चौरडिया ने कहा कि संत की मृत्यु शोक नहीं महोत्सव होती है। साध्वी सिंहासन पर विदा हुई है। पिता के संस्कारों का बीज कल्पवृक्ष बनता है अच्छा गुरु मिलने पर ही इस प्रकार हमें मोक्ष की प्राप्ति होती है। नेमीचंद चौरडिया ने कहा कि गुरु मांगलिक के बाद संथारा देवलोक गमन सौभाग्य गर्व का विषय है। साध्वी महाराज साहब के सांसारिक भांजे अनिल गोलेच्छा ने कहा कि जीवन उनका धन्य है आत्म हित कर गए थे तीसरा मनोरथ पूर्ण मिला साधवी राजुल श्री जी महाराज साहब हमेशा कहते थे कि सदैव अच्छाई ही ग्रहण करना चाहिए बुराई के दोष से बचना चाहिए। अहिंसा प्रचारक महेश नाहटा, अजीत चेलावत, शोकिन मुणेत, दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विजय विनायका सुशील नागोरी निंबाहेड़ा, अशोक मोगरा, अशोक बोडावत अखिल भारतीय जायसवाल महासभा के राष्ट्रीय सचिव व जिला प्रेस क्लब के कार्यकारिणी सदस्य अर्जुन सिंह जायसवाल, निर्मल पितलिया, राजमल छाजेड, अखिल विश्व णमोकार मंत्र के जितेंद्र सकलेचा, शांतिलाल बडोला सागरमल धींग, अमृतलाल कोठारी छोटी सादड़ी, सोहनलाल छाजेड़ ने भी विचार व्यक्त किए। पयार्यज्येष्टा 70 वर्षीय महासती राजुलश्री जी ने उदयपुर में 2004 में दीक्षा ली थी। संथारे के समय नीमच से संघ मौजूद रहा। संथारे की सूचना मिलने पर आचार्य श्री रामेश उपाध्याय प्रवर राजेश मुनि जी महाराजआदि ठाना को सूचना मिलने के बाद वे श्री संघ के पदाधिकारीयों के साथ महासती राजुल श्री जी के पास पहुंचे और मांगलिक श्रवण करवाई। उनका अंतिम दर्शन करने पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रघुराज सिंह चौरडिया सहित अनेक वरिष्ठ जनप्रतिनिधि एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी एवं समस्त सकल जैन समाज के समाज जन उपस्थित थे।