नीमच । नवपद आराधना करने से कुष्ठ रोग का नाश भी हो जाता है । सोने का जितना तपाएंगे उतना ही तप कर निखरता है इसी प्रकार शरीर को जितना तपस्या उपवास से तपाएंगे तो उतना ही आत्मा में निखार आएगा। नव पद अराधना की तपस्या मोक्ष का प्रवेश द्वार होता है। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि तपस्या आत्मा को जीवन का अनमोल हीरा बना देती है। नवपद आराधना एवं वैमनस्य को हटाकर मैत्री भाव जगाती है। दिल से दान देने वाला दानवीर कहलाता है। हम जितना तप करेंगे उतना ही निर्मल होंगे। श्रीपाल एवं मैयना सुंदरी की नव पद की पवित्र आराधना से 700 कोड़ी रोगी भी स्वस्थ हो गए थे। नवपद आराधना के ध्यान से रोग शोक मिटते है । इंसान का सबसे बड़ा कार्य सेवा कर्तव्य है तभी मानव की पूजा होती है। जो व्यक्ति जीवन में उपकार को याद रखता है वह जीवन में सदैव आगे बढ़ता है। गुरु के उपकार को कभी भूलना नहीं चाहिए। विश्वास घात को धरती पर बोझ माना गया है इसलिए कभी विश्वास घात नहीं करें । सदैव विश्वास बनाए रखें तभी जीवन का कल्याण हो सकता है। धर्म कल्याण के कार्य करते रहे हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा । श्रीपाल और मेयना धर्म की रक्षा के लिए नव पद आराधना की तपस्या की तो धर्म ने भी उनके रोग से बचाया और उनकी रक्षा की।
श्रीपाल और मैयना सुंदरी ने नवपद की आराधना की तो उन्हें शांति और संतोष मिला था। साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि प्रतिदिन आयम्बिल तपस्या से द्वारिका की भी रक्षा हुई थी जो आज भी आदर्श प्रेरणादाई प्रसंग है नवपद ओली तप की आराधना प्रारंभ, प्रातः 9बजे से नवपद आराधना ओली जी की तपस्या प्रारंभ हुई इसके अंतर्गत आयम्बिल तपस्या उपवास के साथ नवकार महामंत्र भक्तामर पाठ वाचन, शांति जाप एवं तप की आराधना भी हुई। सभी समाजजन उत्साह के साथ भाग लेकर तपस्या के साथ अपने आत्म कल्याण का मार्ग प्राप्त कर रहे हैं। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की। धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा., अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया।