नीमच । नवपद ओली जी की तपस्या करने से आत्मा पवित्र और मन शुद्ध होता है। ओली जी की तपस्या की साधना से जीवन में आने वाली विपत्तियां दूर होती है। और त्याग की प्रेरणा मिलती है। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार चित्तौड़गढ़ दुर्ग में राजा बनवीर की तलवार के सामने अपने पुत्र चंदन का बलिदान दे दिया । और स्वामी भक्ति का परिचय देते हुए अपने राजा के पुत्र उदय सिंह के प्राणों की रक्षा कर जीवन दान दिलाया और पूरे संसार को देश के लिए अपने पुत्र के बलिदान का एक प्रेरणादाई संदेश दिया। पन्नाधाय को आज भी राष्ट्र रक्षा के लिए सबसे उत्तम मां का सम्मान दिया जाता है। इसलिए दुःख की घड़ी में साहस नहीं छोड़ना चाहिए। संसार में रहते हुए हम जैसा कर्म करते हैं हमें वैसा ही फल मिलता है। इसलिए हमें पुण्य तपस्या के धर्म के अच्छे कर्म करना चाहिए ताकि हमारे जीवन में मोक्ष का मार्ग मिल सके। मानव जीवन में धैर्य और सत्य के साथ धर्म का पालन करें तो धर्म की रक्षा हो सकती है। धर्म की पवित्रता पुण्य को प्रबल बनाती है और प्रबल पुण्य रंक को राजा और राजा को रंक बना देता है।
श्रीपाल महाराजा जब 5 वर्ष की आयु में थे तो उनके पिता का निधन हो गया। उन्हें 5 वर्ष की आयु में ही राजगद्दी पर विराजित किया गया था उनका जीवन विपत्ति और संघर्ष से भरा था लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं खोया और श्रीपाल महाराज का जीवन नवपद आराधना के साथ धर्म से जुड़ गया था परिणाम स्वरुप उन्होंने अपने जीवन में कई संसारी सिद्धियां प्राप्त की। मनुष्य यदि धर्म और धैर्य दोनों ही को जीवन में आत्मसात करें तो जीवन महान और उन्नत बन सकता है। साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि नवकार मंत्र सभी पापों के कर्मों से मुक्ति देता है और पुण्य बढ़ा देता है। नवकार मंत्र के जाप से दुश्मन भी मित्र बन जाता है। नवकार मंत्र का जाप विष को अमृत में परिवर्तन कर देता है। पंच परमेश्वर का ध्यान करना चाहिए। नवकार मंत्र के जब से लाखों आत्माओं का कल्याण हुआ है नव पद आयम्बिल शाश्वत ओली जी का प्रारंभ जीवन में परिवर्तन लाता है। वैदिक दर्शन में गीता भागवत रामायण का सप्ताह होता है जैन दर्शन में पर्युषण पर्व की तरह आयम्बिल ओली तप का सप्ताह मनाया जाता है।
नवपद ओली तप की आराधना प्रारंभ, 20 अक्टूबर को प्रातः 9 बजे से नवपद आराधना ओली जी की तपस्या प्रारंभ हुई इसके अंतर्गत आयम्बिल तपस्या उपवास के साथ नवकार महामंत्र शांति जाप एवं तप की आराधना भी हुई। सभी समाजजन उत्साह | के साथ भाग लेकर तपस्या के साथ अपने आत्म कल्याण का मार्ग प्राप्त कर रहे हैं। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की। धर्म सभी में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा. अभिजीतमुनिजी म. सा., अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया।
धर्म सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया। कस्तूरचंद जी महाराज साहब व शांतिलाल जी बम की पुण्यतिथि पर जाप एवं गुणानुवाद प्रवचन 22 को, विजय मुनि जी महाराज साहब के पावन सानिध्य में 22 अक्टूबर को सुबह 9 बजे जैन दिवाकर भवन में कस्तूरचंर महाराज साहब एवं शांतिलाल जी बम की पुण्यतिथि के पावन उपलक्ष्य में जाप एवं गुणानुवाद प्रवचन सभा आयोजित होगी।