नीमच । नवपद ओली की आराधना से मन पवित्र होता है और आत्मा शुद्ध होती है। नवपद ओली तपस्या आराधना से मोक्ष मिलता है। नवपद की साधना तपस्या से रोग शोक आदि व्याधि नहीं होती है किष्ट दूर होते हैं। यह बातश्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस् संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में बिल्डिंग के समीप पुस्तक बाजार स्थित नवनिर्मित श्रीमती रेशम देवी अखें सिंह कोठारी आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दीक्षा के बिना मोक्ष नहीं मिलता है । गुरु आज्ञा बिना मोक्ष मार्ग नहीं मिलता है। जिस प्रकार विवाह की खुशियां बढ़ाने के लिए हम 6 माह पूर्व से ही तैयारियां प्रारंभ कर देते हैं ।
इसी प्रकार नव पद की आराधना के लिए 6 माह पूर्वा ही अभ्यास प्रारंभ कर देना चाहिए तो नव पद की तपस्या की खुशियां दुगनी होकर दुगना आनंद देती है। गौतम स्वामी महाराज ने कहा कि मोक्ष का अनुभव किया जा सकता है वर्णन नहीं किया जा सकता है। नवपद ओली जी रास सम्यक रास जगाता है। नवपद की आराधना का ध्यान हृदय में आत्मा साथ करें तो नव पद का आनंद 100 गुना ज्यादा हो जाता है। श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला।
समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया, जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने। धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।