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राग मोह का स्वार्थ दुःख का प्रमुख कारण-आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी, चातुर्मासिक मंगल धर्म सभा प्रवाहित।

Neemuch headlines October 16, 2023, 2:00 pm Technology

नीमच । राग मोह का स्वार्थ मानव के दुख का प्रमुख कारण है। सिद्धांत पूर्वक जिनवाणी को आत्मसात करें तो आत्मा का कल्याण होगा। सम्यक दर्शन अनमोल रत्न है। हम इस तपस्या तत्व के महत्व को समझे । मनुष्य को बाजार से हर वस्तु मिल सकती है लेकिन ज्ञान दर्शन चरित्र तीन अनमोल रत्न बाजार में नहीं मिलते हैं।

यह बात जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में जाजू बिल्डिंग के समीप पुस्तक बाजार स्थित नवनिर्मित श्रीमती रेशम देवी अखें सिंह कोठारी आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि जिस दिन मन में नवकार के प्रति आस्था श्रद्धा जाग जाएगी उस दिन भव से बेड़ा पार होने का मार्ग प्रशस्त होगा नो पूर्व का ज्ञान होने और प्रत्येक जीव पर दया करते हैं श्रद्धा की कमी हो तो उनका भी कल्याण रुक जाता है। यह तो पुण्य पुरुषार्थ भाग्य से ही मिलते हैं। हमें मानव भव को सार्थक करने का प्रयत्नशील रहना चाहिए । जिसकी भक्ती में आस्था होती है। उन्हे देव लोक मिलता है। देवलोक में जाने के बाद आत्मा इतनी लीन हो जाती है। कि वह वापस संसार में परिवार को देखने हजारों साल तक नहीं आ पाती है और कभी आ भी जाती है तो बुरे कर्म करने वाले को सजा दे जाती है और परेशान व्यक्ति की सहायता कर चली जाती है।

संयम चरित्र का पालन निष्क्रिय जीवन चाहिए तो देवलोक में स्थान मिलता है। व्यापार चलता है तो व्यक्ति खाना पीना और परिवारजन को भूल जाता है स्वर्ग में अच्छा ज्ञान मिलता है तो व्यक्ति परिवार और संसार का भूल जाता है। देवता धरती पर आते हैं दर्शन नहीं देते हैं संकेत के में रूप में अनुभव करते हैं। संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज  पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला।

समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद, जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया, जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने। धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।

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