नीमच । दीपावली के दिनों में हम घर आंगन की सफाई करते हैं इसमें हमसें भूल वस छोटे-छोटे जीवों की हत्या हो जाती है। इसका हमें प्रायश्चित कर क्षमा मांगना चाहिए नहीं तो हमारा आत्म कल्याण नहीं हो सकता है। यह बात बंधु बैलडी पूज्य आचार्य श्री जिनेंद्र सागर जी मसा के शिष्य नूतन आचार्य श्री प्रसन्न चंद्रसागर सागर जी महाराज साहब ने कही। वे श्री जैन श्वेतांबर भीडभांजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वाधान में पुस्तक बाजार जाजु बिल्डिंग के समीप श्रीमती रेशम देवी श्री अखे सिंह कोठारी नूतन आराधना भवन में आयोजित चातुर्मास धर्मसभा में बोल रहे थे । उन्होंने कहा कि जब भी हम सफाई कार्य करें तो पहले परमात्मा से जीव दया की क्षमा मांग ले कि हमसे यह पाप मजबूरी में हो रहा है ।
परमात्मा हमें क्षमा करना तो इस पाप का प्रभाव कम हो सकता है। हमें स्वस्थ रहने के लिए हमारे आसपास सफाई करना भी आवश्यक है। इसलिए हम जीव दया का पालन करें। वास्तविक सच्चाई है कि भौतिक संपत्ति कभी भी हमें सच्चा सुख नहीं दे सकती है । व्यक्ति मेरा मकान स्वच्छ रहे इसका आनंद लेना चाहता है। जबकि मकान की सफाई में जीवों की हत्या हो जाती है उसका पाप हमें लगता है इससे बचने के लिए हमें पुण्य परमार्थ जीव दया के लिए जीव सेवा सेवा के कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानव जन्म दुर्लभ है। इस संसार में जो व्यक्ति जन्म लेता है। दुसरे के दोष नहीं देखे । वह क्रोध नहीं करें। । जीवों के प्रति दया भाव रखें।
ईर्ष्या का भाव नहीं रखे । दूसरों की निंदा नहीं करें। अपनी बढाई नहीं करें। अहंकार नहीं रखे वही व्यक्ति संसार में रहने का सच्चा मानव कहलाने का अधिकारी होता है। श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला। समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया, जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने।
धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।