नीमच। दहेज प्रथा एक सामाजिक अपराध हैं। दहेज लेना और देना दोनों ही पाप की श्रेणी में आता है इस बुराई सदैव बचना चाहिए। दहेज के अपराध की सजा से कोई बच नहीं पाता है इसका फल अवश्य मिलता है। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आकांक्षा के त्याग बिना जीवन में सुधार नहीं होता है। बेटी को जितना उपहार माता-पिता एवं परिवारजन अपनी स्वेच्छा से दे वही सच्चा उपहार होता है इसलिए कहते हैं की दुल्हन ही दहेज हैं।
विवाह में दहेज मांग कर लेना पाप कर्म की श्रेणी में आता है। विवाह में झुठा दिखावा करना भी पाप होता है। विवाह कार्यक्रम सादगी के साथ आयोजित होना चाहिए। क्योंकि धनवान व्यक्ति तो महंगी शादी और दिखावा कर लेता है लेकिन गरीब व्यक्ति नहीं कर पाता है तो वह दुखी होता है। विवाह कार्यक्रम धनवान हो चाहे गरीब दोनों ही समानता के रूप में सादगी पूर्वक करें तो समाज में विकास की नई क्रांति आ सकती हैं। व्यक्ति को बेटे बेटी की शादी में दिखावा करने के बजाय बैटे बैटी की शिक्षा संस्कार पर अच्छा खर्च करना चाहिए ताकि वह ज्ञानी बनकर समाज का विकास कर सकता है। झुठी शान और दिखावे के लिए लोग विवाह में करोड़ों खर्च कर देते हैं लेकिन गौशाला या पानी की प्याऊ के लिए उनसे धन मांगो तो नहीं देते हैं।
धन का उपयोग सदैव दान पुण्य परमार्थ के लिए करना चाहिए तो धन पवित्र होता है। साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि सद् कर्म करने वालों का सद्गति और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।12 चक्रवर्ती में से 10 चक्रवर्ती मोक्ष गए दो चक्रवर्ती के कर्म खराब होने के कारण उन्हें नरकगति मिली थी। आगामी 15 अक्टूबर रविवार को प्रातः 9 बजे रमेश मुनि जी महाराज साहब की पुण्यतिथि के पावन उपलक्ष्य में एकासना दिवस मनाया जाएगा एवं आत्म शांति और आत्म कल्याण के उद्देश्य से जैन दिवाकर भवन में 9 तीर्थ की स्तुति के जाप होंगे। सभी श्रद्धालु भक्त समय पर उपस्थित होकर धर्म लाभ का पुण्य ग्रहण करें। इस अवसर पर दोपहर में जैन धार्मिक प्रतियोगिता आयोजित हो रही है। सभी समाजजन उत्साह के साथ भाग लेकर तपस्या के साथ अपने आत्म कल्याण का मार्ग प्राप्त कर रहे हैं। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की। धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा. अरिहंतमुनिजी म. सा. ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया।