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मन की शांति के बिना संसार असार होता है - आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी, चातुर्मासिक मंगल धर्म सभा प्रवाहित

neemuch headlines October 10, 2023, 5:07 pm Technology

नीमच। मनुष्य जन्म का मूल्य धर्म नीति के पवित्र आचरण से होता है संसार के भौतिक पदार्थों से नहीं। संसार की सुख संपत्ति का त्याग कर धर्म पुण्य कर्म करे हुए वही सच्चा सुख प्राप्त करता है। मन की शांति के बिना संसार असार होता है।

यह बातश्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में जाजू बिल्डिंग के समीप पुस्तक बाजार स्थित नवनिर्मित श्रीमती रेशम देवी अखें सिंह कोठारी आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि मनोविज्ञान भी निर्मल मन होने पर शरीर को स्वस्थ मानता है। मन को नियंत्रित करना कठिन होता है इसलिए पांच इंद्रियों पर नियंत्रण करना चाहिए तभी आत्मा का कल्याण हो सकता है। 25 साल पहले एक महीने में एक बार टॉकीज में पिक्चर देखने जाते थे। उसके बाद सप्ताह में एक बार टीवी पर फिल्म देखते थे | आज मोबाइल पर प्रतिदिन प्रतिक्षण मोबाइल पर फिल्म देख रहे हैं चिंतन का विषय है यह हमारा कर्म किधर जा रहा है। मन में आनंद के बिना समाधि की मृत्यु प्राप्त नहीं होती है। शांति पूर्वक हंसते- हंसते मृत्यु होने वाले की समाधि पूर्वक सद्गति होती है। जीवन पर्यंत अभ्यास कर प्रतिदिन प्रसन्न रहना चाहिए धर्म कर्म के पुण्य कर्म करते रहना चाहिए तभी मृत्यु की सद्गति होती है। मन से राग द्वेष को मिटाने के लिए तपस्या करना चाहिए। तभी आत्मा का कल्याण होता है। श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला। समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद, जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया, जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने। धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।

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