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स्वयं की आत्मा को जाने बिना कल्याण नहीं हो सकता- प्रवर्तक श्री विजयमुनिजी म. सा

neemuch headlines October 9, 2023, 6:13 pm Technology

नीमच । हम अधिकतर दूसरों के दोष को देखते हैं स्वयं के बारे में अनुसंधान नहीं करते हैं कि हमारी क्या गलती है। हमारे कर्म किस प्रकार चल रहे हैं। यदि हम अच्छे कर्म करेंगे तो अच्छा फल मिलेगा यदि हम बुरे कर्म करेंगे तो बुरा फल मिलेगा इसलिए पहले स्वयं की आत्मा को जाने बिना कल्याण नहीं हो सकता।

यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि महान पुरुषों के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं। हमें जीवन में आगे बढ़ाना है तो किसी भी एक नियम का अनुशासन पूर्वक पालन करेंगे तो हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। जीव दया के पालन के साथ नियम संयम का भी पालन करना चाहिए तो आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि मानव जीवन में तीन बुद्ध होते हैं। एक स्वयं की इच्छा का बुद्ध होता है। एक प्रत्येक वस्तु को प्रेरणा मानकर ज्ञान प्राप्त होता है। बुद्ध को प्रतीक मानकर ज्ञान प्राप्त करते हैं। मनुष्य जीवन में लाभ लालच की तृष्णा को जगाता है इससे सदैव बचना चाहिए जहां लाभ है वहां लोभ होता है इससे बचना चाहिए। क्षणिक लाभ व्यक्ति को पाप की ओर बढ़ाता है। और त्याग व्यक्ति को पुण्य की ओर आगे बढ़ता है। एक बार एक ब्राह्मण राजा के यहां दान लेने गया था वह राजा प्रतिदिन एक मासा सोने का दान करता था। तब ब्राह्मण की स्थिति सोचकर राजा ने ब्राह्मण से कहा कि जितना चाहे मांग लो क्या मांगना चाहते हो तब ब्राह्मण ने सोचा कि आधा राज्य मांग लेता हूं। लेकिन फिर सोचा कि यदि आधा राज्य मांगूंगा तो आधे राज्य को लेकर राजा फिर लड़ाई झगड़ा करेगा इसलिए अब कुछ नहीं मांगता हूं और यह सोचते सोचते ही कपिल केवली को केवल ज्ञान हो गया था। व्यक्ति को लालच को त्याग कर आगे बढ़ना चाहिए तो जीवन का कल्याण हो सकता है। आगामी 15 अक्टूबर को प्रातः 9 बजे रमेश मुनि जी महाराज साहब की चतुर्थ पुण्यतिथि के पावन उपलक्ष्य मेंआत्म शांति और आत्म कल्याण के उद्देश्य से जैन दिवाकर भवन में स्तुति व नवग्रह शांति के जाप होंगे।

सभी श्रद्धालु भक्त समय पर उपस्थित होकर धर्म लाभ का पुण्य ग्रहण करें इस अवसर पर दोपहर में नन्हे मुन्ने बच्चों की जैन धार्मिक प्रतियोगिता आयोजित हो रही है। सभी समाजजन उत्साह के साथ भाग लेकर तपस्या के साथ अपने आत्म कल्याण का मार्ग प्राप्त कर रहे हैं। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की। धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा. श्री अभिजीतमुनिजी म. सा. श्री अरिहंतमुनिजी म. सा. ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ अध्यक्ष अजीत कुमार बम, चातुर्मास समिति संयोजक बलवंत मेहता, सागरमल सहलोत, मनोहर शम्भु बम्म, सुनील लाला बम्ब, निर्मल पितलिया, सुरेंद्र बम्म, वर्धमान स्थानकवासी नवयुवक मंडल अध्यक्ष संजय डांगी, आशा सांभर, शोभाराम वीरवाल, दिवाकर महिला मंडल अध्यक्ष रानी राणा, साधना बहू मंडल अध्यक्ष चंदनबाला परमार आदि लोग उपस्थित थे। और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन निर्मल पितलिया ने किया।

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