नीमच । प्रमाद अज्ञान मोह को नहीं समझने के कारण ही सब 84 में भटक रहे हैं। सब अपनी संभावनाओं को जाने। हर आत्मा में परमात्मा छुपा हुआ है। मानव जन्म में कहां से आया है और आगे कहा जाएगा । इन दोनों बातों पर ही हमारा सारा धर्म दर्शन टिका हुआ है। संसार में व्यक्ति ज्ञान तो बहुत पाता है लेकिन स्वयं को भूल जाता है। यह बातश्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में जाजू बिल्डिंग के समीप पुस्तक बाजार स्थित नवनिर्मित श्रीमती रेशम देवी अखें सिंह कोठारी आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आसक्ति का त्याग करना आवश्यक है ।
इसके त्याग किए बिना परमात्मा की भक्ति प्राप्त नहीं होती है। संसार को छोड़ने के लिए परमात्मा की भक्ति आवश्यक है। जिस प्रकार छोटे बच्चों के लिए मां आवश्यक है इस प्रकार परमात्मा की भक्ति के लिए सम्यक तत्व आवश्यक है। श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला। समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया, जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने । धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।