सांसारिक सुख में जीवन बर्बाद नहीं करना चाहिए आचार्य प्रसन्नचंद्र - सागरजी, चातुर्मासिक मंगल धर्म सभा

neemuch headlines October 2, 2023, 4:48 pm Technology

नीमच । जैसे-जैसे संसार बढ़ेगा वैसे-वैसे राग बढ़ेगा। शरीर में रोग बढ़ता है तब हमारी भावना ऐसी होती है कि रोग ठीक हो जाए तो अच्छा है संसार के पदार्थ बढ़ते हैं तो और बढ़ाने की इच्छा होती है संसार बढ़े तो आनंद आता है। लेकिन वास्तव में सच्चा सुख और आनंद संयम जीवन में होता है । संसार में नहीं। भौतिक संपत्ति की फैक्ट्रियां दुकान बढ़ती है तो आनंद आता है।

वह क्षणिक होता है। पुणिया श्रावक ने अपने सम्यक तत्व के लिए सांसारिक भौतिक संसाधनों की सुख सुविधाओं का त्याग कर दिया था इसलिए आज उनकी तपस्या का महत्व है। उनकी सामायिक तपस्या अनमोल थी। यह बात श्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में मिडिल स्कूल मैदान के समीप जैन भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि हम तपस्या दान धर्म करें और अच्छा मिलने की प्रार्थना करें तो वह स्वार्थ भी राग द्वेष होता है जहां स्वार्थ अच्छा लगे वहां राग द्वेष होता है।

राग द्वेष का त्याग ही जीवन में आनंद लाता है। अधिक राग द्वेष भी जीवन विकास में रुकावट होता है। इसलिए परमात्मा भक्ति में भी ध्यान लगाना चाहिए। ताकि संसारी राग हमें परेशान नहीं करें। श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला। समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद, जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया, जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने। धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।

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