मन के क्रोध को त्यागे बिना मुक्ति का मार्ग नहीं मिलता है-आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी, चातुर्मासिक मंगल धर्म सभा प्रवाहित

Neemuch headlines September 23, 2023, 5:04 pm Technology

नीमच। मन के क्रोध को त्यागे बिना मुक्ति का मार्ग नहीं मिलता है। हम किसी भी पथ समुदाय को माने लेकिन यदि मन से क्रोध नहीं निकला तो हमारा कल्याण नहीं हो सकता है। सरलता मुक्ति का मार्ग है। साधु संतों की सरलता से प्रेरणा लेकर मनुष्य को भी सांसारिक जीवन में सरल स्वभाव के साथ जीवन जीना चाहिए।

यह बात श्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में मिडिल स्कूल मैदान के समीप जैन भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी गुरु के पास यदि सरलता से कोई भी शिष्य रहे तो उसको केवल ज्ञान और मुक्ति मिल सकती है। कर्म सत्ता के स्वीकार भाव यदि पवित्र है तो पुण्य कर्म बढ़ता है। मन की स्वीकृति के बिना कर्म सत्ता की ताकत दिव्यांग रहती है। दोष दृष्टि का भाव निकले बिना मुक्ति का मार्ग नहीं मिलता हैं। राग द्वेष बढ़े तो कर्म सत्ता बढ़ती है। प्रर्युषण पर्व की साधना क्रोध को त्यागने का उत्तम माध्यम है। श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी सानिध्य मिला। समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया, जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने। धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।

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