पुण्य कर्मों के बिना मनुष्य जीवन में आत्म कल्याण नहीं होता प्रवर्तक श्री - विजयमुनिजी म. सा

Neemuch headlines September 2, 2023, 4:18 pm Technology

नीमच मनुष्य को जीवन में धन संपत्ति वैभव यश जो भी मिलता है वह उसके पुण्य कर्म के फलस्वरूप ही प्राप्त होता है । मनुष्य का यदि पुण्य कर्म है तो उसे यह सभी सुख समृद्धि सुविधाएं बड़ी सरलता से मिल जाते हैं। ऐसे लोग भाग्यशाली भी कहलाते हैं। वहीं दूसरी और बहुत कठिन परिश्रम करने के बावजूद भी व्यक्ति अपना जीवन यापन कठिनाई से पता है। यह उसके पूर्व भव में पाप कर्म के कारण ऐसा संभव होता है।

जीवन में पुण्य कर्म संचय करने पर ध्यान दो तथा पाप कर्म से बचें क्योंकि पुण्य कर्म अगले जन्म में भी सुख देते हैं और पाप कर्म कई जन्म तक आपको दुख देते हैं यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, आगम मनस्वी साहित्य भूषण कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें जो भी ज्ञान मिलता है वह हमारे पूर्व जन्म के पुण्य का परिणाम है इसलिए जीवन में ज्ञान कभी भीसाधना अंदर नहीं करना चाहिए हमें अग्नि जल विद्युत सभी चीज आवश्यकता के अनुसार उपयोग करनी चाहिए क्योंकि इन वस्तुओं के उपयोग का पुण्य भी हमें पुण्य से ही मिलता है। जीवन में इन चीजों को व्यर्थ बर्बाद नहीं करें दान पुण्य करें। जीवन के अंतिम पड़ाव में मृत्यु से पूर्व संथारा लेकर संसार छोड़ना अपने आप में अलग महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर गजेंद्र मंडावत वंदना मंडावत मुंबई उमेश जैन उज्जैन अतिथि के रूप में उपस्थित थे। साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि संतोषी सदा सुखी होता है हमारे पास जो है जितना है हम उसी में संतोष रखें तो हम दुखी नहीं होंगे। वैराग्य तीन प्रकार के होते हैं जिसमें दुख गर्भित मोह गर्भित ज्ञान गर्भित होते हैं दुख से दीक्षा मुंह से साधु संत प्रेम ज्ञान से संस्कार प्रमुख होता है। ज्ञानी छोड़ने के लिए रोता है अज्ञानी नहीं है उसके लिए रोता है। सूर्य की रोशनी एक ही होती है सुबह का प्रकाश उजाला लेकर आता है शाम का प्रकाश अंधेरा लेकर आता है । हमें प्रकाश के माध्यम से आगे बढ़ाना सीखना होगा तभी हमारे जीवन का कल्याण होगा। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की। धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा. एवं साध्वी विजय श्री जी म. सा. का सानिध्य मिला। इस अवसर पर श्री अभिजीतमुनिजी म. सा. श्री अरिहंतमुनिजी म. सा. ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका " तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ अध्यक्ष अजीत कुमार बम्म, चातुर्मास समिति संयोजक बलवंत सिंह मेहता, सागरमल सहलोत, मनोहर शम्भु बम्म, सुनील लाला बम्ब, निर्मल पितलिया, सुरेंद्र बम्म, वर्धमान स्थानकवासी नवयुवक मंडल अध्यक्ष संजय डांगी, दिवाकर महिला मंडल अध्यक्ष रानी राणा साधना बहू मंडल अध्यक्ष चंदनबाला परमार आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे। इंदौर रतलाम, जावद जीरन, चित्तौड़गढ़, छोटी सादड़ी निंबाहेड़ा जावरा नारायणगढ़, उदयपुर आदि क्षेत्र से समाज जन सहभागी बने और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन प्रवक्ता भंवरलाल देशलहरा ने किया।

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