जो लोग धर्म में पुरुषार्थ नहीं करते हैं। उन्हें मुक्ति नहीं मिलती है- आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी, चातुर्मासिक मंगल धर्म सभा प्रवाहित

Neemuch headlines August 26, 2023, 4:53 pm Technology

नीमच। सिद्धाचल तीर्थ की तपस्या करने से आत्मा का कल्याण हो सकता है। धर्म कर्म के पुण्य बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। जन्म मरण करने की अपनी श्रृंखला को छोड़ना है तो उसे व्यक्ति को धर्मपथ पर पुरुषार्थ करना ही होगा तभी वह मोक्ष गामी बनेगा। संसार में अनेक व्यक्ति धर्मपथ पर बढ़ना तो चाहते हैं। लेकिन नियम व्रत पचकान नहीं लेते हैं। ऐसे मनुष्य जान बूझकर पाप कर्म करने वाले बन जाते हैं। जो लोग धर्म पथ में कर्म नहीं करते हैं उन्हें मुक्ति नहीं मिलती है।

यह बात जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में मिडिल स्कूल मैदान के समीप जैन भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि तपस्या और नवकार मंत्र जाप से हमें सद प्रेरणा मिलती है कि हम अपने जीवन को समयक दृष्टि बनाए अर्थात मिथ्या दृष्टि से बचे, प्रभु महावीर का जीवन चरित्र हमें धर्म पथ पर पुरुषार्थ करने की प्रेरणा देता है अर्थात मनुष्य को अपना जीवन नियम और अनुशासन से जीना चाहिए । जिन मनुष्य के जीवन में नियमों व्रत नहीं होते वह अज्ञानी की श्रेणी में आते हैं। इसलिए जीवन का कल्याण करना है तो जीवन को नियम व्रत के अनुसार जीना चाहिए तभी हमारी आत्मा का कल्याण होगा।

जो लोग धर्म में पुरुषार्थ नहीं करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। इस अवसर परजैन भवन में आयोजित कार्यक्रम में तपस्वियों के बहुमान में श्री नवकार जय नवकार श्री नवकार जय नवकार नवकार मंत्र जाप सामूहिक रूप से किया गया।

इस अवसर पर अष्ट प्रकारी पूजा की गई 9 दिवसीय सिद्धाचल तपस्या के उपलक्ष में नवकार मंत्र के पाठ पर फल नैवेध चढ़ाकर आशीर्वाद ग्रहण किया । चांदी के नवकार मंत्रपठ को गुलाब के फूलों रंग-बिरंगे विद्युत बल्ब से सुंदर के श्रृंगार किया गया। ओम रिम मंत्र के उच्चारण के साथ दीपक प्रजवलित कर श्रीफल चढ़ाया गया। बबलू गोयल चीताखेड़ा ने मधुरकर्णप्रिय भजन प्रस्तुत किए। संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला। धार्मिक चढ़ावे की बोली लगाई गई जिसमें समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। पूज्य आचार्य भगवंत का आचार्य पदवी के बाद प्रथम चातुर्मास नीमच में हो रहा है। उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया, जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने। धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।

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