नीमच। मध्यप्रदेश सरकार की नीतियों से परेशान होकर नर्सिंग स्टूडेंट को धरने पर बैठना पड़ रहा है। अपने भविष्य को बचाने के लिए चक्का जाम कर आंदोलन करना पड़ रहा है। आखिर क्यों प्रदेश की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान नर्सिंग स्टूडेंट की पीड़ा को समझने को तैयार नहीं है,जबकि दावे तो विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के किए जाते हैं। पहले तो सरकार ने खुद नर्सिंग कॉलेजो को मान्यता दी और जब जांच में नर्सिंग कॉलेज फर्जी पाए गए तो सरकार अब पल्ला झाड़ रही है। यह सवाल कांग्रेस नेता व जिला पंचायत सदस्य तरूण बाहेती ने भाजपा नेताओं से प्रेस नोट के माध्यम से किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार खुद अपनी गलती से पिछले 3 सालों से नर्सिंग विश्व विद्यालय परीक्षा आयोजित नहीं कर रही है। परीक्षा नहीं होने के कारण नर्सिंग विद्यार्थी आगे नही बढ़ पा रहे है और अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। सभी नर्सिंग के विद्यार्थी तीन साल पिछड़ गए और लगातार परीक्षा आयोजित करने की मांग कर रहे है। परीक्षा नही होने की दशा में विद्यार्थी जनरल प्रमोशन देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी सरकार सुनवाई नहीं कर रही है। हालात यह है कि जो पढाई नर्सिंग विद्यार्थियों को मात्र 3 वर्ष में पूरी करना थी, वह 6-7 साल बाद भी पूरी नहीं हो रही है।
श्री बाहेती ने कहा कि इसका असर सीधे तौर पर नर्सिंग विद्यार्थियों की मानसिक स्थिति पर पड़ रहा है। बावजूद प्रदेश की भाजपा सरकार गंभीर नहीं है। सरकार द्वारा फर्जी कॉलेजो को मान्यता देने से मामला न्यायालय में चला गया एवं छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। तीन साल बीत जाने के बाद भी सरकार न्यायालय को सही ढंग से जवाब भी नहीं दे पा रही है। श्री बाहेती ने कहा कि हालात ये हैं कि नर्सिंग विद्यार्थियों ने अपने खून से नारे लिखकर और धरना देकर शिवराज सरकार को जगाने का प्रयास किया, पर सरकार इसका कोई असर नहीं हुआ। मजबूरन विद्यार्थियों को चक्का जाम करना पड़ा और हालात ये रहे कि गर्म, प्यास और भूख के कारण कुछ विद्यार्थियों की तो तबीयत भी बिगड़ गई, लेकिन हालात ये रहे कि सड़क पर धरने पर बैठे नर्सिंग विद्यार्थियों को समझाने भाजपा का कोई जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचे, जबकि धरना स्थल से मात्र 300 मीटर की दूरी पर विद्यार्थियों को स्कूटी वितरण कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा, नीमच विधायक दिलीपसिंह परिहार व मनासा विधायक माधव मारू बैठे थे, लेकिन विद्यार्थियों की पीड़ा ध्यान नहीं दिया गया और कोई भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि सांत्वना देने तक नहीं पहुंचा।
इसी तरह धरना स्थल के करीब ही जिला पंचायत अध्यक्ष सज्जनसिंह का निवास भी है, जिन्हें भी पूरे मामले की जानकारी होने के बाद भी, वे भी दूर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि भाजपा के नेता विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के दावे धूमिल है। अगर दावे धूमिल नहीं होते, तो भाजपा के जनप्रतिनिधि बच्चों के बीच में पहुंचते हैं और उसकी समस्या निराकरण करने के लिए सीएम और अधिकारियों से बात करते हैं, पर ऐसा न करते हुए भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने बता दिया कि उनके सारे वादे और दावे सिर्फ विधानसभा चुनाव के मद्देनजर है, बाकी, उन्हें किसी से कोई लेना देना नहीं है।