नीमच। राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्देशानुसार नीमच जिले मे शिक्षा विभाग के माध्यम से समर कैंप आयोजन करने एवं इस कैम्प में शिक्षा की मुख्य धारा से जोडने हेतु ऐसी बालिकाओं को प्रवेश कराया जाना था जो शाला त्यागी, अप्रवेशी, बेघर, अनाथ या जिनके परिवार पलायन करते रहते है, यह आसान कार्य नहीं था।
नीमच जिले में केवल नीमच में इस कार्य हेतु सार्थक प्रयास किया गया और ठान लिया कि कुछ भी हो हार नहीं मानना है, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती और मेहनत रंग लाई जिसका श्रेय जाता है एपीसी जेन्डर श्रीमती विजयश्री जैन को, जिन्होने अपने साथियों मोनिका सोनी निदानात्मक शिक्षिका, संजना मैडम व शिक्षक इंद्र सिंह शक्तावत सर, कंडारा सर व संतोष सर को साथ में लेकर नीमच में कोठी स्कूल व रेल्वे स्टेशन रोड की झुग्गी झोपडियों में दस्तक दी। श्रीमती विजयश्री जैन ने बताया कि हम झुग्गी झोपडियों में सुबह शाम जाकर सर्वे करते, सर्वे में पता चला कि इन बस्तियों के अधिकतर बच्चें स्क्ूल मे नहीं जाते है कुछ अप्रवेशी है एवं कुछ ने स्कूल छोड दिया ऐसे बच्चें अपनी गरीबी के कारण बाजार में खाना मांगने चले जाते है तो कुछ बच्चे मंडी मे लहसन बिनने चले जाते है जिससे इन्हे खाना और पेसे मिल जाते है।
हमने बच्चों से बात की तो वे स्क्ूल जाना चाहते है, परंतु परिवार की समस्या के कारण नहीं जा पाते, फिर हमने इन बच्चों के पालकों से संपर्क किया जिसमे काफी समस्याओं का सामना एवं काफी बाते सुनने को मिली, शाम के समय सर्वे में पालक शराब के नशे मे मिलते थे, एक बार तो ऐसा लगा की यह कार्य छोड दे परंतु बच्चों के भविष्य को देखते हुए हमने हार नहीं मानी और रोज सुबह शाम बस्तियों में पहुंच जाते थे, धीरे-धीरे पालकों को हमारी बाते समझ में आयी ओर कुछ पालकों ने अपने बच्चों को समर कैंप में भेजने की सहमति दी। स्टेशन रोड की बस्ती से इन्हें लाने ले जाने वाला कोई नहीं था इस समस्या को देखते हुए हमने अपने स्वंय के खर्चे से एक ऑटो किराये पर लिया एवं प्रतिदिन ये बालिकाऐं ऑटॉ से समर कैंप में आ रही है। 18 मई से डाईट के बालिका छात्रावास में समर कैंप शुरू किया जिसमें शुरू में केवल दस बालिकाऐं ही आ रही थी, फिर भी हमारा प्रयास यहीं नहीं रूका हमने और मेहनत की और अब समर कैंप में बालिकाओं की पंजीयन संख्या 100 हो चुकी है, जिसमे से लगभग 60 बालिकाऐं प्रतिदिन उपस्थित रहती है। समर कैंप में इन बालिकाओं को नाश्ता, खाना देने के साथ ही खेल-खेल में शिक्षा, शैक्षणिक गतिविधियों, चित्रकला, सुन्दर लेखन, डांस, मेंहंदी, आत्मरक्षा कराते, पार्लर, डेकोरेशन, संस्कार शिक्षा, मोटिवेशन, रंगोली, गुड टच बेड टच, अनुशासन, रहन सहन के तरीके, इंडोर गेम आदी सिखाये जाते है साथ ही शहर कुछ सामाजिक संस्थाओं ने भी इन बच्चो के लिए सहयोग किया है। इस कैंप में हॉस्टल वार्डन, सहा.वार्डन सहित विभिन्न शिक्षक-शिक्षिकाऐं भी इन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर रहे है। समर कैप के माध्यम से हम इन बालिकाओं को शिक्षा की मुख्य धारा में वापस ला रहे है और हमारा यह प्रयास सफल हो रहा है।