नीमच। मूकबधिर के लिए साइन लैंग्वेज (सांकेतिक भाषा) बातचीत का सिर्फ अनूठा माध्यम नहीं रह गया है, अब यह उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। शिक्षा के लिए साइन लैंग्वेज वरदान बन रही है। इसकी सहायता से मूकबधिर अब यूट्यूब कंटेंट., मूवीज़ और खेल , प्रतियोगिताओं का भी आनंद ले रहे हैं। साइन लैंग्वेज के ज़रिए ये विद्यार्थी अपनी आवाज़ पूरी दुनिया तक पहुँचा रहे हैं।
नीमच में रेडक्रास द्वारा संचालित मूकबधिर विद्यालय एवं छात्रावास में 30 विद्यार्थियों के लिए साइन लैंग्वेज की शिक्षा की सुविधा उपलब्ध है।साईन लेग्वेज की ऑनलाइन स्मार्ट कक्षाओं के माध्यम से भी मुकबधिर विद्यार्थी अध्ययन कर रहे है। छात्रावास में 14 बालिकाए कक्षा 6 से 10 वीं तक अध्ययन कर रही है। वहीं 12 विद्यार्थी सीडब्ल्यू एसएन छात्रावास के हैं । रेडक्रास मूक बधिर विद्यालय एवं छात्रावास वार्डन शिक्षिका श्रीमती खुमान भारद्वाज ने बताया कि साइन लैंग्वेज में मूकबधिर बच्चों को मुख्यतः अल्फाबेट का ज्ञान दिया जाता है। हर देश और हर क्षेत्र में साइन लैंग्वेज में कुछ भिन्नता होती है, सब एक तरह के नहीं होते। वहीं, अल्फाबेट सभी जगह लगभग समान होते हैं। स्कूल लेवल की पढ़ाई के बाद भी इनके लिए पढ़ाई की व्यवस्था है इसके साथ ही कंप्यूटर, मोबाइल के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
आज इंटरनेट ने इनके जीवन में काफी सकारात्मक बदलाव आ रहा हैं। यूट्यूब पर देखना पसंद कर रहे कंटेंट- नीमच के मुकबधिर छात्रों ने साइन लैंग्वेज की सहायता से बात करते हुए समझाया कि उन्हें समाचार देखना बेहद पसंद है। इसके लिए वे यूट्यूब का सहारा लेते हैं। उन्होंने अपने फोन से यूट्यूब खोलकर बताया कि अब ऐसे कई कंटेंट क्रिएटर्स हैं जो साइन लैंग्वेज का उपयोग कर अपना कंटेंट बना रहे हैं। साइन लैंग्वेज ने उनके लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अधिक सुलभ और उपयोगी बना दिया है। खेलों में भी हो रहा है साइन लैंग्वेज का उपयोग- मूवी देखने के लिए सबटाइटल का इस्तेमाल करते हैं। वहीं जो चीजें समझ में नहीं आतीं, उनके लिए वे साइन लैंग्वेज एक्सप्लेनेशन देख लेते हैं। वे बताते हैं कि क्रिकेट, फुटबॉल सहित अन्य खेलों के पूरे मैच भी साइन लैंग्वेज में देखते हैं। वे यह भी बताते हैं कि इंटरनेट मीडिया जैसे व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम से वे अपने दोस्तों से हर रोज़ वीडियो कॉल पर, साइन लैंग्वेज के ज़रिए बात करते हैं। मानसिक दिव्याग बच्चों का भविष्य संवार रहा है मानसिक दिव्यांग विद्यालय भारतीय रेडक्रास सोसायटी द्वारा संचालित मानसिक दिव्यांग विद्यालय में 13 बच्चे अध्ययनरत जिसमे दो तीन बच्चे सी.पी. (सेरेबल वाप्ली) प्रमष्तिक अंगधात वाले बच्चे भी है। जो अपना काम स्वंय नहीं कर सकते है। ये बोलने में सक्षम नहीं होते हैं। यह बच्चें अपना कार्य स्वंय नही कर सकते है। ।
विद्यालय में शिक्षक मुकेश शर्मा द्वारा इन बच्चों को रोजाना हल्का पुल्का व्यायाम कराया जाता है। उसके बाद उन्हे कपडे पहनना, जुते, चप्पल, एवं कंघी करना, खेल-कुद,डाँस करवाना आदि बहुत सारी गतिविधियां करवाई जाती है , विद्यालय में मेहुल कुमार राजोरा ने 2007-8 में विद्यालय मे प्रवेश लिया । आज राजोरा स्वंय सांयकल से विद्यालय आना एवं वापस सायकल से घर जाना अपने आप खाना खाना, मोबाइल से बातचीत करना, डांस करना सभी कार्य स्वंय करते है। इस वर्ष राहुल को कक्षा 5 वी की परीक्षा दिलाई जा रही है। यह जानकारी प्राचार्य खुमान कुवंर भारद्वाज ने दी है ।