चैत्र मास में आने वाली शिवरात्रि को चैत्र मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। कहते हैं इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि विधान के साथ पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।
तो आइए जानते हैं शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व।
मासिक शिवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की 14वें दिन चतुर्दशी तिथि मनाई जाती है। मासिक शिवरात्रि हर महीने में एक बार आती है और महाशिवरात्रि वर्ष में एक बार मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार, शिवरात्रि का व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना जाती है। कहा जाता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन की कई मुश्किलों से छुटकारा मिलता है। इस महीने की मासिक शिवरात्रि 20 मार्च सोमवार के दिन यांनी आज है।
आइए जानते हैं मानसिक शिवरात्रि का महत्व और व्रत की विधि। मासिक शिवरात्रि का महत्व:-
मान्यताओं के अनुसार और पौराणिक कथाओं के मुताबिक चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने उनकी पूजा की थी। तभी से इस दिन को भगवान शिव के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। कई पुराणों में भी इस व्रत का जिक्र किया गया है। जिसमें बताया गया है कि इस व्रत को माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, गायत्री और सीता माता और पार्वती माता सहित कई देवियों से रखा है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख शांति मिलती है। साथ ही रोगों से मुक्ति भी मिलती है।
शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त:-
20 मार्च सुबह में 6 बजकर 25 मिनट से शाम में 7 बजकर 56 मिनट तक
इसके बाद रात में 9 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 58 मिनच तक
शाम में पांच बचकर 1 मिनट से 6 बजकर 32 मिनट तक जो लोग निशिथ काल की पूजा करते हैं
उनके लिए रात्रि में 10 बजकर 59 मिनट से रात में 12 बजकर 28 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि:-
मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान शिव के मंदिर या फिर घर के ही मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। याद रखें की सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके लिए जल, शुद्ध घी, दूध, शक्कर, दही आदि से अभिषेक करें।
कहा जाता है कि रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। साथ ही इस दिन बेलपत्र, धतूरा, श्रीफल चढ़ाएं। इस बात का ख्याल रखें की आप बेल पत्र को अच्छे से साफ कर लें। शिव पूजा करते समय शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें। संध्या के समय आप फलहार कर सकते हैं। ख्याल रखें की शिवरात्रि के व्रत में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। आपको बता दें कि शिवरात्रि के पूजन का उत्तम समय मध्य रात्रि का समय होता है। भगवान शिव की पूजा रात 12 बजे के बाद करना उत्तम फलदायी रहता है। साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ भी करें ऐसा करने से आपकी आर्थिक परेशानियां दूर होंगी।