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दशा माता व्रत, जानें पूजा विधि, कथा और आरती, किसका रूप हैं ये देवी?

Neemuch headlines March 17, 2023, 6:00 am Technology

हिंदू धर्म में देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा करने की परंपरा है। दशा माता भी देवी के इन रूपों में से एक है। इस बार दशा माता का व्रत आज किया जाएगा। ये व्रत करने से घर-परिवार की दशा ठीक होती है।

जानिए इस व्रत की पूजा विधि, कथा व अन्य खास बातें:-

इस विधि से करें दशा माता की पूजा आज की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद पीपल वृक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर पूजा करें। कच्चे सूत का 10 तार का डोरा बनाकर उसमें 10 गांठ लगाएं और इसकी पूजा करें।

- पीपल वृक्ष की 10 प्रदक्षिणा करते हुए भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। वृक्ष के नीचे दीपक लगाएं। अबीर, गुलाल, कुंकुम, चावल, फूल आदि चीजें चढ़ाएं। पूजा के बाद वृक्ष के नीचे बैठकर नल दमयंती की कथा सुनें।

- घर आकर द्वार के दोनों ओर हल्दी कुमकुम के छापे लगाएं। इस दिन व्रत रखें और शाम को बिना नमक का भोजन करें। इस प्रकार पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और परेशानियां दूर रहती हैं।

 दशा माता व्रत की कथा:-

- किसी समय नल नाम के एक पराक्रमी राजा थे, उनकी पत्नी का नाम दमयंती था। एक दिन रानी दमयंती ने दशा माता का व्रत किया और डोरा अपने गले में बांधा। राजा ने किसी बात पर वो डोरा निकालकर फेंक दिया।

- उसी रात दशा माता बुढ़िया के रूप में राजा के सपने में आई और कहा कि “तेरा अच्छा समय जा रहा है और बुरा समय आ रहा है, क्योंकि तूने मेरा अपमान किया है।”इसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि राजा को वन-वन में भटकना पड़ा।

- राजा के साथ रानी भी इधर-उधर भटकने लगी। राजा पर चोरी का भी आरोप लगा। एक दिन राजा को सपने वाली बुढि़या दिखाई दी तो वे बोले “माता मुझसे भूल हुई क्षमा। मैं पत्नी सहित दशामाता का पूजन करूंगा।”

- बुढि़या ने उन्हें पूजन की विधि भी बताई। राजा ने उसी विधि के अनुसार, दशामाता का पूजन किया और दशामाता का डोरा गले में बांधा। इस व्रत के प्रभाव से राजा की दशा सुधरी और उन्हें पुनः अपना राज्य मिल गया।

दशा माता की आरती:-

आरती श्री दशा माता की | जय सत-चित्त आनंद दाता की |

भय भंजनि अरु दशा सुधारिणी |

पाप -ताप-कलि कलुष विदारणी| शुभ्र लोक में सदा विहारणी |

जय पालिनी दिन जनन की |

आरती श्री दशा माता की ||

अखिल विश्व- आनंद विधायिनी |

मंगलमयी सुमंगल दायिनी |

जय पावन प्रेम प्रदायिनी |

अमिय-राग-रस रंगरली की |

आरती श्री दशा माता की ||

नित्यानंद भयो आह्लादिनी |

आनंद घन आनंद प्रसाधिनी|

रसमयि रसमय मन- उन्मादिनी |

सरस कमलिनी विष्णुआली की |

आरती श्री दशा माता की ||

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