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त्र्यंबकेश्वर : यहां गौतम ऋषि की तपस्या से प्रकट हुए थे शिव, दर्शन मात्र कर देते हैं पाप मुक्त

Neemuch Headlines February 18, 2023, 2:55 pm Technology

श्री त्र्यंबकेश्वर भगवान का मंदिर नासिक जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के उन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है,

जिन्हें भारत में सबसे अधिक पूजा जाता है। मंदिर के पास ब्रह्मगिरि नमक पर्वत से पुण्यसलिला गोदावरी नदी निकलती है। उत्तर भारत में पापनाशिनी गंगा का जो महत्व है, वही दक्षिण में गोदावरी का है। जिस तरह गंगा अवतरण का श्रेय महातपस्वी भागीरथ जी को है, वैसे ही गोदावरी का प्रवाह ऋषिश्रेष्ठ गौतम जी की महान तपस्या का फल है, जो उन्हें भगवान आशुतोष से प्राप्त हुआ था। बृहस्पति के सिंह राशि में आने पर यहां बड़ा कुंभ मेला लगता है और श्रद्धालुजन गौतमी गंगा में स्नान कर तथा भगवान श्री त्र्यंबकेश्वर का दर्शन कर अपने को कृतकृत्य मानते हैं।

शिवपुराण में वर्णन हैं कि गौतम ऋषि तथा गोदावरी और सभी देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने निश्चय किया और त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए।

इस शिवलिंग में है त्रिदेव का वास:-

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग सबसे अद्भुत और मुख्य बात यह हैं कि इसके तीन मुख (सिर) हैं, जिन्हें एक भगवान ब्रह्मा, एक भगवान विष्णु और एक भगवान रूद्र का रूप माना जाता है। इस लिंग के चारों ओर एक रत्न जड़ित मुकुट रखा गया है, जिसे त्रिदेव के मुखोटे के रुप में माना गया है। इस मुकुट में हीरा, पन्ना और कई बेशकीमती रत्न लगे हुए हैं। त्र्यंबकेश्वर मंदिर में इसको सिर्फ सोमवार के दिन शाम 4 से 5 बजे तक दर्शनार्थियों को दिखाया जाता है। गोदावरी नदी के किनारे बने त्र्यंबकेश्वर मंदिर का निर्माण काले पत्थरों से किया गया है। इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही अद्भुत और अनोखी है। भव्य त्र्यंबकेश्वर मंदिर इमारत सिंधु आर्यशैली का अद्भुत नमूना है। इस मंदिर के भीतर एक गर्भगृह है, जिसमें प्रवेश करने के पश्चात् शिवलिंग आंख के समान दिखाई देता हैं, जिसमें जल भरा रहता हैं। यदि ध्यान से देखा जाए तो इसके भीतर एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं। इन तीनो लिंगो को त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु, महेश का अवतार माना जाता है। इस मंदिर में कालसर्प दोष की शांति वैदिक पंडितों के द्वारा करवाई जाती हैं।

पापों से मुक्ति दिलाने वाले ज्योतिर्लिंग की कथा:-

शास्त्रों केअनुसार एक बार महर्षि गौतम के तपोवन में रहने वाले ब्राह्मण की पत्नियां किसी बात पर गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या से नाराज हो गईं। उन सभी पत्नियों ने अपने पतियों को गौतम ऋषि का अपमान करने के लिए प्रेरित किया। उन ब्राह्मणों ने इसके लिए भगवान गणेश की आराधना की उनकी आराधना से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उनसे वर मांगने को कहा। उन ब्राह्मणों ने कहा प्रभु किसी प्रकार ऋषि गौतम को इस आश्रम से बाहर निकाल दीजिए। गणेश जी को विवश होकर उनकी बात माननी पड़ी। तब गणेश जी ने एक दुर्बल गाय का रूप धारण करके ऋषि गौतम के खेत में जाकर फसल खाने लगे।

देववश गौतम वहां पहुंचे और तिनकों की मुठ्ठी से उसे हटाने लगे, तृणों के स्पर्श से गौ पृथ्वी पर गिर पड़ी और ऋषि के सामने ही मर गई। गौतम ऋषि को ब्राह्मणों ने बताया यह उपाय:- उस समय छिपे हुए सारे ब्राह्मण एकत्रित होकर गौ हत्यारे कह कर ऋषि गौतम का अपमान करने लगे। ऐसी विषम परिस्थिति को देखकर गौतम ऋषि उन ब्राह्मणों से प्रायश्चित पूछा। तब उन्होंने कहा गौतम तुम अपने पाप को सर्वत्र बताते हुए तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करो, फिर लौटकर यहां एक महीने तक व्रत करो। इसके बाद इस ब्रह्मगिरि पर सौ बार घूमों, तभी तुम्हारी शुद्धि होगी। यदि यह न कर पाओ तो यहां गंगा जी को लाकर उनके जल से स्नान करके एक करोड़ पार्थिव शिवलिंग से भगवान शिवजी की आराधना करो। इसके बाद फिर से गंगा जी में स्नान करके पुनः सौ घड़ों से पार्थिव शिवलिंग को स्नान कराने से तुम्हारा उद्धार होगा।

तब शिव यहीं प्रतिष्ठित हो गए:- गौतम ऋषि ने इस प्रकार कठोर प्रायश्चित किया। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे वर मांगने को कहा। महर्षि गौतम ने कहा भगवान आप मुझे गौ हत्या के पाप से मुक्त कर दीजिए। भगवान शिव ने कहा गौतम तुम सर्वदा निष्पाप हो। गौ हत्या का अपराध तुम पर छल पूर्वक लगाया गया था। ऐसा करने के लिए तुम्हारे आश्रम के ब्राह्मणों को मैं दंड देना चाहता हूं। इस पर महर्षि गौतम ने कहा उन्हीं के उस कार्य से मुझे आपके दुर्लभ दर्शन प्राप्त हुए हैं। अब उन्हें मेरा परम समझ कर उन पर आप क्रोध ना करें। बहुत सारे ऋषि मुनियों और देवगणों एवं गंगा ने वहां उपस्थित होकर ऋषि गौतम की बात का अनुमोदन करते हुए भगवान शिव से सदा वहीं पर निवास करने की प्रार्थना की। देवों के प्रार्थना करने पर भगवान भोलेनाथ वहीं गौतमी-तट पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हो गए।

दर्शन से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाए:-

यह त्र्यंबक नामक ज्योतिर्लिंग सभी कामनाओं को पूर्ण करता हैं। यह महापातकों का नाशक और मुक्ति-प्रदायक है। जब सिंह राशि पर बृहस्पति आते हैं, तब इस गौतमी तट पर सकल तीर्थ, देवगण और नदियों में श्रेष्ठ गंगाजी पधारती हैं तथा महाकुंभ पर्व होता हैं।

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