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डॉक्टर सहगल की 85 वीं किताब "इतिहास के साक्षी मौखिक स्रोत" का विमोचन हुआ

संजय शर्मा September 17, 2022, 10:04 am Technology

भानपूरा। मालवांचल के लोक साहित्य मर्मज्ञ डॉक्टर पूरन सहगल की 85 वीं किताब इतिहास के साक्षी मौखिक स्रोत का विमोचन वाग्देवी संस्कृति परिषद के बैनर तले भानपुरा पब्लिक स्कूल के सभागार में इतिहासकार व पुरावेता डॉक्टर प्रद्युम्न भट्ट के हाथो सम्पन्न हुआ। पुस्तक का प्रकाशन मध्य भारतीय इतिहास अनुसंधान ,ग्वालियर द्वारा किया जिसके निदेशक डॉक्टर संजय स्वर्णकार ने पुस्तक की भूमिका मेलिखा की इतिहास का निर्माण करने में मोखिक परम्परा व लोक साहित्य का विशिष्ट अवदान रहता हे । विक्रम विश्व विद्यालय के डॉक्टर शैलेन्द्र शर्मा जी ने संदेश में लिखा कि लोक साहित्य इतिहास रूपी देह का प्राण है। विमोचन के अवसर पर डॉक्टर भट्ट जो शेल चित्र विज्ञान के गम्भीर अध्येता है ,ने कहा कि शेल चित्रों की भाषा को समझने के लिए उस युग में प्रवेश कर ही उन्हें समझा का सकता है । प्राम मानव इं चित्रों में क्या कहना चाहता है। डॉक्टर भट्ट ने शेल चित्रों के संसार को प्रागैतिहासिक युग के दुर्लभ साक्ष्य माना हे। ये शक्ष्य लोक में वन विधियों में बिखरे पड़े है तथा इनका संरक्षण बहुत जरूरी है।डॉक्टर भट्ट के अनुसार प्रागैतिहासिक युग के मौखिक प्रथम साक्ष्य ये शेल चित्र ही है । पुस्तक के लेखक डॉक्टर सहगल ने अपने उद्बोधन में भानपुरा अंचल की समृद्ध परंपराएं मालवा मेवाड हाड़ौती के इतिहास के मौखिक साक्ष्य को आधार प्रदान करती हैं। इन साक्षों को विवेक पूर्ण रीति से उपयोग में लाना होगा। डॉक्टर भट्ट के अनुसार यह साहित्य व इतिहास के क्षेत्र में ऐसी पहली किताब हे जो। शोध प्रविधियों के लिए मानक स्तर के निर्धारण व नवीन शोध गावाक्ष खोलने का काम करेगी । वाग्देवी परिषद के अध्यक्ष श्याम टेलर ने आभार मानते हुए कहा कि 85 वर्ष की वय में 85 वीं किताब का विमोचन भानपुरा में होना भानपुरा के लिए गौरव की बात है।इस अवसर पर साहित्यकार प्यारेलाल रंगोठा रामनारायण चौहान मोहन लाल मर मट चोथ मल मांडलिया देवीसिंह देव कैलाश तिवारी सीताराम संदेशिया रमाकांत उपाध्याय आदि ने डॉक्टर सहगल को हार्दिक शुभकामनाएं दी।

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