नीमच निप्र। बिजली पानी और सड़क यह तीन ऐसे मुद्दे हैं जिस पर पूरा चुनावी समीकरण तख्तापलट हो जाता है, और इन्हीं मुद्दों को अपना ब्रह्मास्त्र बनाकर चुनावी अखाड़े में राजनीतिक दल उतरते हैं।
अंधा रोए आंखों को जनता को क्या चाहिए बस यही कि उनकी मूलभूत सुविधा का लाभ दिया जाए, जिसके लिए वह परेशानी दौर से गुजर रही है। बस इसी दुखती रग को पकड़ कर राजनीतिक दल मात्र अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं।
ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के नीमच जिले की तहसील नीमच के ग्राम दलावदा है, जोकि ग्राम पंचायत जमुनिया में आता है जहां पर विगत 8 वर्ष से पूर्व कार्यकाल भी कांग्रेस पार्टी का रहा है वर्तमान भी। वर्तमान में उस गाव की स्थिति दयनीय बनी हुई है। मीठा बोल बड़ा अनमोल वर्तमान में भी इन्ही जनहित मुद्दों को हथियार बनाकर इस्तेमाल करने वाले कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार ने पेयजल की समस्या से जल्द निजात दिलाने का झूठा आश्वासन देकर दोबारा पलट कर पेयजल की समस्या को नहीं देखा।
जबकि यह गांव एक ऐसा गांव हे जहा पर आज तक निष्पक्ष और निस्वार्थ भाव से सिर्फ विकास की मांग को लेकर एक तरफा मतदान होता रहा है। पर यह बात भी सत्य है कि हमारी बंद आंखें वही खोलता है, जिस पर हम आंख बंद करके विश्वास करते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी ग्राम दलवदा की है। बड़े आश्चर्य की बात हैं की गांव से कुछ ही दूरी पर जाजू सागर बांध स्थित है जिससे पूरा नीमच शहर पूरे वर्ष पानी पी रहा है, और ठीक उसी जाजू सागर बांध हरकियाखाल डैम से लगा ग्राम दलावदा हे जहां की जनता बूंद बूंद पानी को तरस रही है।
आज ग्रामीण पीने के पानी के जुगाड में कई जठिल प्रयत्न करने के बाद अपनी प्यास बुझा पा रहे है। ऐसा लगता है आत्म निर्भर भारत की शुरुआत यहीं से हो रही है। वहां की जनता ने इस समस्या की आवाज भी होने वाले चुनाव से पूर्व भी पूरे दमखम के साथ मीडिया में उठाई, परंतु उन गरीब आमजन की आवाज भ्रष्ट संबंधितो तक नहीं पहुंची जिन्होंने सिर्फ और सिर्फ अपना राजनीतिक उद्देश्य मात्र जनहित कार्य के लिए आये हुए स्वीकृत राशि में झपट्टा मारकर जेब भरने का बना रखा है। और इसी कारण इस पेयजल समस्या के समाधान के लिए किए गए दो बार प्रयास विफल हुए। जिसमे जनता को तो पानी नहीं मिला पर प्रतिनिधि अच्छी खासी कमाई कर बैठ गए।
राकेश गुर्जर हरीश गुर्जर श्याम धनगर पहलाद धनगर गोपाल सोनू आदि ग्रामीणों से जब पत्रकार की टीम रूबरू हुई और जब गांव की समस्या को लेकर चर्चा की गई तो प्रथम चर्चा में पेयजल की समस्या का मुद्दा सामने आया जिसमें चुनाव से पूर्व वर्तमान सरपंच ने इस समस्या जल्द राहत दिलाने का आश्वासन दिया। पर उसके बाद ग्रामीणों की समस्या से बिल्कुल परे हो गए एक तरह से देखा जाए तो ग्राम दलावदा एक पर्यटन स्थल होना चाहिए क्योंकि जाजू सागर बांध आज शहर के लिए पर्यटन स्थल बना हुआ है।
जहां पर छुट्टियों में वार त्यौहार पर आए दिन पिकनिक पार्टियों का माहौल बना रहता है और एक अद्भुत सुंदर माहौल देखने को मिलता है। उसी डेम से लगा गांव दलावदा अपनी बद से बत्तर होती जा रही हालत को बयां भी नहीं कर पा रहा है। आखिर इन सब का जिम्मेदार कौन है..? लगता है इस गांव की सूध लेने वाला समस्या की सुनवाई करने वाला कोई नहीं हे। इसलिए नीमच हेडलाइंस के माध्यम से ग्रामीणों की शासन प्रशासन के उच्च अधिकारियों एवं पदाधिकारियों से यह अपील है कि इस लावारिस गांव की दशा दिशा सुधार कर ग्रामीणों को राहत प्रदान करें।