धर्म व नेक कार्यो का दिखावा पतन की और ले जाता है- आचार्य रामेश

विनोद पोरवाल September 6, 2022, 10:00 pm Technology

कुकडेश्वर। मनुष्य भव बड़े पुण्योदय से हमें मिला और इस भव में हमें जैन कुल मिला धर्म और संत समागम हमें मिला अब आत्म चिंतन की आवश्यकता है। उक्त विचार सेक्टर 4 जैन स्थानक भवन मे धर्म सभा को धर्मोदेश देते आचार्य श्री रामेश ने कहा कि कुछ प्राप्त होनाऔर चले जाना दोनों अवस्था में तटस्थ रहें।हम विचार करें,क्या मेरा है,और क्या रहेगा,जन्म से पहले क्या साथ था,वर्तमान में क्या साथ में है, और क्या साथ में जाएगा।मैं क्या कर रहा हुं जो मेरा है ही नहीं सारा परिश्रम उसके लिए कर रहा हैं। यह परिश्रम कितना सार्थक होगा क्या यह हमें समाधि और शांति देने वाला होगा। हमारा ज्ञान व शक्ति आदि का अहंकार गलत दिशा में ले जाने वाला बन जाता है। हम अपने ज्ञान,तप आदि को भी पचा नहीं पाते हैं। तो वह कुछ अपच हो जाता है, बहुत सारे लोग मन नहीं लगने की शिकायत करते हैं, भगवान महावीर ने स्पष्ट शब्दों में कहा है जो कार्य करो उसमें तल्लीन हो जाओ। हम सेवा की जगह दिखावे में उलझ जाते हैं। दिखावा हमारे नैतिक मूल्यों से गिरा कर पतन की ओर ले जाता है।परिवार, समाज में विपरीत परिस्थितियों में एक दुसरे का साथ देना अति आवश्यक है। वही असली परीक्षा है स्वयं का कार्य स्वयं करें इससे अपने अनुभव और विश्वास दोनों में वृद्धि होती है। परिश्रमी काम से कभी घबराना नहीं चाहिए।उक्त जानकारी अल्पेश धाकड़ ने दी।

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