संयम जीवन को महकाने एवं छहकाया के जीवो की रक्षा करने वाला मार्ग है- त्यागी जी श्री चंद्रसेन जी

प्रदीप जैन September 6, 2022, 3:18 pm Technology

सिंगोली। श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में दशलक्षण पर्व के पावन अवसर पर धर्म किसे कहते हैं कि व्याख्यान माला में व्याख्या करते हुए श्रद्धेय श्री त्यागी जी श्रीचंद्रसेन जी ने बताया कि उत्तम संयम से मनुष्य का जीवन महकता है।संयम तो छहकाय के जीवों की रक्षा का नाम है मुनिराज के जीवन में तो जल मिट्टी अग्नि वायु पृथ्वी वनस्पतिकायिक आदि जीवों का भी घात नहीं होता है यह उनका प्राणी संयम है।पंच इन्द्रिय के विषयों में उनके यह अच्छा है यह बुरा है इस कल्पना से पार हो गये है।यह इन्द्रिय संयम है।संयम मुख्य रूप से मुनिराज जी के जीवन में होता है। परन्तु इस संयम धर्म कि आंशिक साधना श्रावकों के जीवन मे भी होती है यह धर्म है। जब ग्रहस्थ को तत्व का यथार्थ निर्णय होता है तब आत्म अनुभव पुर्वक सम्यक दर्शन को प्राप्त करता है तब उसे शरीर और शरीर के अनुकुल प्रतिकुल सामग्री भी आकुलता का कारण बनती है राग द्वेष उत्पन्न करने में निमित्त होती है तो वह ग्रहस्थ श्रावक मोह से मुक्त होने के लिए अपना जीवन एक देश संयम सहित इच्छा के निरोध रुप तप को अंगीकार करता है। ऐसा वीतराग धर्म रुप संयम और तप जब प्राणियों के जीवन में आता है तो जीवन में जो हिंसादि पापों से आत्मा दुर्गन्धित हो रहा था उन पापों को संयम और तप के द्वारा दहन करने से जीवन महकने लगता है। उपरोक्त जानकारी श्री कुंद कुंद कहान दिगम्बर जैन ट्रस्ट मंदिर कमेटी द्वारा दि गई।

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