आषाढ़ माह का प्रदोष व्रत आज 26 जून को है. त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव शंकर की पूजा करने और व्रत रखने से रोग, कष्ट, दुख, दारिद्र, दोष आदि दूर होते हैं. उनके आशीर्वाद से सुख, संतान, संपत्ति, आरोग्य, धन आदि प्राप्त होता है. भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं.
रवि प्रदोष व्रत तिथि और मुहूर्त:-
आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी का प्रारंभ: 25 जून, दिन शनिवार, देर रात 01 बजकर 09 मिनट से
आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी का समापन:
27 जून, दिन सोमवार, प्रात: 03 बजकर 25 मिनट पर
प्रदोष पूजा का शुभ समय:
26 जून, शाम 07 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 23 मिनट तक
प्रदोष व्रत 2022 योग और नक्षत्र:-
व्रत के दिन धृति योग प्रात: 05 बजकर 55 मिनट तक ही है.
इसके बाद शूल योग लगेगा, जो शुभ नहीं माना जाता है. इस दिन का शुभ समय 11:56 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक है. हालांकि प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में करते हैं और शिव पूजन में पंचांग देखने की बाध्यता नहीं होती है.
प्रदोष व्रत और शिव पूजा विधि:-
1. आज प्रात: स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें. पूजा स्थल की साफ सफाई कर लें.
2. अब आप हाथ में फूल, अक्षत् और जल लेकर प्रदोष व्रत एवं शिव पूजन का संकल्प करें.
3. इसके पश्चात आप दैनिक पूजा कर लें. फिर दिनभर फलाहार पर व्रत रहें. शाम को प्रदोष काल में शिव पूजा करें.
4. प्रदोष पूजा मुहूर्त में किसीर् शिव मंदिर या फिर घर पर ही शिवलिंग का जलाभिषेक करें. अब सफेद चंदन, बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत्, शक्कर, शहद, फल, फूल, शमी के पत्ते, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें.
5. इसके पश्चात शिव चालीसा और रवि प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए उससे संबंधित शिव मंत्र का जाप करें. फिर शिव जी की आरती घी के दीपक या कपूर से करें.
6. रात्रि के समय में जागरण करें. भगवान की भक्ति में समय व्यतीत करें. अगले दिन सुबह फिर स्नान के बाद पूजन करें.
7. किसी गरीब ब्राह्मण को दान दक्षिणा देने के पश्चात पारण करके व्रत को पूरा करें.
8. रवि प्रदोष व्रत करने से उत्तम स्वास्थ्य और सुखमय जीवन प्राप्त होता है.