जानिये कब से है गुप्त नवरात्रि, घट स्थापना सहित 9 दिन की पूजा विधि और विशेष महत्व के साथ मंत्रो के बारे में

NEEMUCH HEADLINES February 1, 2022, 4:45 am Technology

वर्ष में 4 नवरात्रियां आती है। पहली चैत्र माह में दूसरी आषाढ़ माह में तीसरी आश्विन माह में और चौथी माघ माह में आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि रहती है जिसमें 10 महाविद्याओं की पूजा और साधना का प्रचलन रहता है।

आइए जानते हैं कि कब है माघ माह की नवरात्रि:-

वर्ष 2022 की पहली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी बुधवार को प्रारंभ होगी, जो 10 फरवरी गुरुवार तक रहेगी। इसे माघी नवरात्रि भी कहते हैं। शुभ योग यह गुप्त नवरात्रि बेहद खास हैं क्योंकि इनमें रवियोग और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहे हैं।

घट स्थापना घटस्थापना करने का शुभ मुहूर्त 2 फरवरी 2022, बुधवार को सुबह 07:10 से 08:02 बजे तक है।

महत्व :-

गुप्त अर्थात छिपा हुआ। इस नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि हेतु साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का महत्व होता है और तंत्र साधना को गुप्त रूप से ही किया जाता है। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इसमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। साथकों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे हुए होने के कारण इसको गुप्त नवरात्र कहते हैं। गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा से कई प्रकार के दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है। अघोर तांत्रिक लोग गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं।

यह नवरात्रि मोक्ष की कामने से भी की जाती है।

गुप्त नवरात्रि की देवियां :-

1. काली,

2. तारा,

3. त्रिपुरसुंदरी,

4. भुवनेश्वरी

5. छिन्नमस्ता

6. त्रिपुरभैरवी,

7. धूमावती,

8. बगलामुखी,

9. मातंगी

10 कमला।

उक्त दस महाविद्याओं का संबंध अलग अलग देवियों से हैं।

10 महाविद्याओं के मंत्र :-

काली ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा।

तारा- 'ॐ ऐ ओ क्रीं क्रीं हूं फट्।" षोडशी श्री ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क्रीं कए इल ह्रीं सकल ही सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः।'

भुवनेश्वरी- 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सौः भुवनेश्वर्ये नम: या हीं।'

छिन्नमस्ता 'श्री ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरायनीये हूं हूं फट् स्वाहा।'

त्रिपुर भैरवी हस हस करी हसे ।। धूमावती 'धूं धूं धूमावती का का

बगलामुखी- 'ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिव्हा कीलय, बुद्धि विनाश्य ह्रीं ॐ स्वाहा।'

मातंगी 'श्री ह्रीं क्लीं हूं मातंग्ये फट् स्वाहा।'

कमला- 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।'

दस महाविद्याओं की पूजा :-

वैसे तो गुप्त नवरात्रि में भी उन्हीं नौ माताओं की पूजा और आराधना होती है लेकिन यदि कोई अघोर साधान चारणा पाहता दक्ष महापाया से किसी एक की साधना करता है जो गुप्त नावरात्रि में सफल होती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है।

इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती है। उस समय प्रकोप बढ़ने लगता है इन विपत्तियों बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है।

कैसे करें सरल पूजा :-

1. पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान से निवृत हो देवियों का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं।

2. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने ईष्ट देव या जिसका भी पूजन कर • मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।

3. पूजन में देवियों के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।

4. फिर देवियों के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध ( चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।

5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।

6. अंत में आरती करें। जिस भी देवी या देवता के तीज त्योहार पर या नित्य उनकी पूजा की जा रही है तो में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।

7. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता।

लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है अत: आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।

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