हम अपने सुख के लिए दुसरों को दुख पंहुचाते ये सबसे बड़ा पाप है-हितग्या श्रीजी मसा

विनोद पोरवाल July 29, 2021, 7:09 pm Technology

कुकड़ेश्वर! इस संसार में सभी जीव सुखी रहना चाहते दुखी कोई नहीं रहना चाहता सुखी बनने के लिए हम दुसरों को दुख पंहुचाने के अनेक प्रकार के प्रयत्न करते और हम जाने-अनजाने में कई पाप कर्म बांध लेते जिसकी हमें जानकारी भी नहीं रहती और वज्र से भी भारी हो जाते हैं पाप कर्म मानव बगैर सोचे समझे सिर्फ सुख की लालसा के लिए हम कर्म बांध लेते और जब अज्ञानता वश हुए पापों के परिणाम मिलते तो आंखों से आंसु बह निकलते है, जिन्हें पोछने वाला नहीं मिलता उक्त विचार जैन धर्मशाला में चातुर्मास हेतु विराजित हितग्या श्री जी म सा ने धर्म सभा में श्रावक श्राविकाओं से नियमित प्रवचन में व्यक्त करते हुए कहा की हम सुख के साधन बढ़ाते जा रहे हैं! टीवी मोबाइल टू व्हीलर फोर व्हीलर लेकिन यह नहीं सोचते कि किसी के पास रहने का मकान तक नहीं पिछले भव में किए शुभ कार्यों का परिणाम हमें इस जन्म में मिल रहा रोगी निरोगी सुख दुख अच्छा बुरा ये सब कर्मों का ही परिणाम है! व्यक्ति अपने सुख के लिए दूसरों को दुख पहुंचा रहा है लेकिन हमें इस सत्य को स्वीकार करना होगा की सुख भी स्थिर नहीं है और दुख भी मानव भव मिला धर्म आराधना करें हमें चार माह का चातुर्मास मिला और मनुष्य भव में जिनशासन गुरु दर्शन से आत्मा को निर्मल बनायें यह समय मोज शोक में उड़ाने का नहीं त्याग तपस्या धर्म आराधना हम समय की अनुकूलता के मुताबिक करेंगे तो भव भवंतर तक काम आएगा मनुष्य भव में दान देना देव गुरु की सेवा करना जीवन में कल्याण के मार्ग हैं सुपात्र दान सर्वश्रेष्ठ बताया गया और परमात्मा की भक्ति हमें भाव से करना चाहिए! जिससे अगले भव में सद्गति मिले आपने बताया कि जीवन में लक्ष्मी आती और जाति है हमारी ईश्वर के प्रति श्रद्धा बनी रहना चाहिए साध्वी जी के प्रवचन प्रतिदिन जैन धर्मशाला में 9:30 से 10:30 तक होगें!

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